Essay on Raksha Bandhan in Hindi । रक्षाबंधन पर निबंध

रक्षाबंधन पर निबंध (Essay on Raksha Bandhan in Hindi) : Friends, आज मैं आप सभी के लिए हम भारतीयों द्वारा मनाई जाने वाली महत्वपूर्ण पर्वो में एक, रक्षाबंधन पर निबंध (Raksha Bandhan Par Nibandh) लिखी हूं।

साथ ही आज हमारी कोशिश रहेगी कि इस निबंध के माध्यम से आज मैं आप सभी को रक्षाबंधन से जुड़े विभिन्न तथ्यों जैसे-

  • रक्षाबंधन क्या है – Raksha Bandhan Kya Hai?
  • रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है – Raksha Bandhan Kyun Manya Jata Hai?

आदि तथ्यों के विषय में विस्तृत जानकारी दे पाऊं।

तो आइए चलते हैं, अपनी मुद्दों की ओर और जानते हैं। रक्षाबंधन के बारे (About Raksha Bandhan in Hindi) में कुछ रोचक बातें।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi। रक्षाबंधन पर निबंध

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रक्षाबंधन हम भारतीयों द्वारा मनाए जाने वाली प्रमुख पर्वों में एक है। जिसे हम लोग काफी पवित्रता और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
रक्षाबंधन नामक यह त्यौहार वर्षों से हम भारतीयों द्वारा मनाई जाती है। खासतौर पर यह हिंदुओं का प्रमुख पर्व है।

जिस प्रकार कई अन्य त्यौहारों को मनाने का एक निश्चित समय होता है। ठीक उसी प्रकार यह पर भी एक निश्चित समय में मनाया जाता है। खास बात तो यह है, कि हम भाइयों-बहनों को हर साल बेसब्री से इसके आने का इंतजार रहता है।

क्योंकि मुख्य रूप से हमारे समाज में इस पर्व को भाई और बहन के बीच पवित्र प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसे मनाने के कारण के बारे में जानने का जब हम प्रयास करते हैं।

तो, हमें पता चलता है, कि कालांतर में देव और दानव के बीच भीषण युद्ध हुई थी। जिसमें असुरों ने देवों पर काफी अत्याचार किया और इससे परेशान होकर भगवान इंद्र बृहस्पति के पास पहुंचकर उन्हें सारी बातें सुनाई और अपनी रक्षा हेतु उपाय पूछी।

उसी समय इंद्र की पत्नी ने अपने मंत्रों की शक्ति से युक्त धागा अपने पति के हाथों में बांधी और इसके पश्चात इंद्र का विजय हुआ। तब से यह परंपरा चली आ रही है। हमारे भारतीय समाज में इसका काफी महत्व है।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi in 250 Words

भारतीय संस्कृति में अपना खास महत्व रखने वाले पर्व में एक रक्षाबंधन भी है। प्राचीन समय से चली आ रही यह परम्परा आज भी हम भारतीयों के लिए उतना ही महत्व रखती है। जितना पहले के समय में रखती थी।

यह हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक है। आज आधुनिकता के इस दौर में इस पर्व को न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य जगहों पर भी मनाया जाता है। इसका न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व है।

बल्कि अन्य कई मायनों में भी इसका महत्व है। हर साल श्रावण की पूर्णिमा में मनाई जाने वाली है। यह त्यौहार हम भाई-बहनों के पवित्र रिश्ता को सदा अटूट और अमर बनाए रखने का संदेश देती है।

खासकर हमारे भारतीय संस्कृति में वर्ष के प्रारंभ होते ही हम बहनों को इसका इंतजार रहता है। काफी लंबे समय के इंतजार के बाद जब इसे मनाने का समय आता है।

तो न सिर्फ हमारे आस-पास बल्कि भारत के कोने-कोने में खुशी का माहौल छा जाता है। बाजारों में चारों ओर खासकर युवतियों और महिलाओं की चहल-पहल दिखती है।

बाजार का लगभग हर दुकान रंग-बिरंगी राखियों से सजी रहती है। इतना ही नहीं लगभग सभी दुकानों पर अक्सर महिलाएं और लड़कियों की भीड़ देखने को मिलती है।

क्योंकि इस त्यौहार के नजदीक आते ही हम बहनें अपने भाइयों के लिए राखियों की खरीदारी करने बाजार जाती हैं। परम्परा के अनुसार श्रावण की पूर्णिमा के दिन हर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनके कलाई पर राखी बनती है।

और अपने भाई की रक्षा और दीर्घायु की कामना करती है। इस प्रकार कहे तो वास्तव में यह पर्व अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।

About Raksha Bandhan in Hindi, Raksha Bandhan Essay in Hindi, Importance of Raksha Bandhan in Hindi

Paragraph on Raksha Bandhan in Hindi

रक्षाबंधन न सिर्फ हिंदुओं का बल्कि जैनियों का भी प्रमुख पर्व है। जिस प्रकार दशहरा, दीपावली और होली हम भारतीयों का खास पर्व है। ठीक उसी प्रकार रक्षाबंधन भी है।

जिसे हर वर्ष हम लोग काफी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। भारत के अतिरिक्त यह प्रमुख रूप से नेपाल में भी मनाया जाता है। जिस तरह से हमारे समाज में अन्य पर्वों से संबंधित लोकगीत प्रचलित है।

ठीक उसी तरह से रक्षाबंधन से संबंधित कई ऐसे लोक-गीत हमारे समाज में प्रचलित है। जिसका प्रत्येक पंक्ति हमें रक्षाबंधन के महत्व को बताती है। जिसमें एक सुमन कल्याणपुर द्वारा रचित लोकगीत है- “बहनों ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है।”

इस दो पंक्ति के माध्यम से ही उन्होंने रक्षाबंधन नामक इस महापर्व का उल्लेख किया है। हमारे हिंदू धर्म में इस पर्व को मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें एक कथा के अनुसार कहा जाता है, कि-

प्राचीन युग में सुर और असुरों में युद्ध हुई थी। जिस युद्ध में देवताओं का पराजय होने लगी। ऐसी स्थिति को देखकर देवराज इंद्र की पत्नी शचि ने अपने पति की विजय और उनकी मंगल कामना से उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधी।

उस रक्षा सूत्र के प्रभाव से युद्ध में देवराज इंद्र को विजय प्राप्त हुआ। तब से ही यह पर्व प्रचलन में आया है। अब जहां तक बात आती है। जैन धर्म में इस पर्व को मनाए जाने के कारण की तो, जैन कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि-

एक बार अकंपनाचार्य नामक मुनि द्वारा 700 मुनियो का जान बचाया गया था। तब से ही जैन अनुयायीयों द्वारा इस दिन अपने कलाई में सूत के सात डोर बाँधा जाता है। और इसे ही रक्षाबंधन का नाम दिया जाता है।

रक्षाबंधन नामक इस पर्व के दिन हर तरक का माहौल खुशनुमा होता है। हर वर्ष यह पर्व आती है और हम भारतीयों को भाई-बहन के रिश्ते को अटूट बनाए रखने का संदेश देती है।

हमारे भारतीय सरकार द्वारा इस पर्व के अवसर पर डाक सेवा पर छूट दी जाती है। हालांकि इस पर्व को मनाए जाने की कथाएं भले ही भिन्न-भिन्न हो लेकिन उपरोक्त बातों से स्पष्ट हो जाती है, कि यह दिन खासतौर पर भाई और बहन का होता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि आज हम लोग प्राचीनता से आधुनिकता की दौर में आ चुके हैं। फिर भी इस पर्व को हम लोग रीति-रिवाज के अनुसार मनाते रहे हैं। अतः निश्चित रूप से यह पर्व हम लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

Raksha Bandhan in Hindi। रक्षाबंधन पर लेख

भारत के लगभग सभी हिस्सों में मनाए जाने वाले पर्व में एक रक्षाबंधन भी आता है। हर साल यह पर्व हम भारतीयों द्वारा परंपरागत ढंग से काफी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ हिंदुओं द्वारा बल्कि जैनियों द्वारा भी मनाया जाता है।

हालांकि इस पर्व को मनाए जाने के पीछे की कारण का जब बात की जाती है, तो उसमें हिंदू और जैन दोनों ही धर्मों की मान्यता एक दूसरे से भिन्न हो जाती है। परंतु दोनों ही धर्म के अनुयायी इसे श्रावन माह की पूर्णिमा को ही Celebrate करते हैं।

प्राचीन समय से ही हम भारतीयों द्वारा भाई-बहन के रिश्ते को बहुत ही पवित्र रिश्ते के रूप में देखा जाता है। उसी पवित्रता को एवं भाई-बहन के अटूट रिश्ता को सदा कायम रखने का संदेश रक्षाबंधन नामक यह त्यौहार भी हमे देती है।

हर साल समय बीतने के साथ-साथ अर्थात प्रत्येक वर्ष ज्यों-ज्यों इस पर्व को मनाने का समय निकट आता है। त्यों-त्यों हम बहनों की उत्सुकता बढ़ती जाती है।

इतना ही नहीं धीरे-धीरे बाजार भी रंग-बिरंगी राखियों और नए-नए उपहारों से सजने शुरू हो जाते हैं। क्योंकि जिस प्रकार बहने अपने भाइयों के लिए राखी की खरीददारी करने बाजार जाती है।

ठीक उसी प्रकार भाई भी इस त्यौहार के अवसर पर अपने बहनों को कुछ न कुछ उपहार देते हैं। यही कारण है, कि वह भी उपहारों की खरीददारी करने बाज़ार जाते हैं। तो उपहारों से भी दुकानों का सजना तो स्वभाविक हो जाता है।

इस प्रकार जब यह पर्व काफी करीब आ जाता है। खासतौर पर सचमुच भारतीय बाजारों की चहल-पलह और रौनक बढ़ जाती है। रक्षाबंधन नामक यह त्यौहार वास्तव में भाई-बहन के बीच रिश्ते को और भी गहरा बना देती है।

सबसे रोचक बात तो यह है, कि इस महापर्व के मौके पर हमारी सरकार कई तरह की छूट भी देती हैं। जो वास्तव में इसकी महत्ता को और भी बढ़ा देती है।

हमारी भारतीय संस्कृति में मनाई जाने वाली सभी पर्वों में भाईदूज को छोड़कर सिर्फ यही एक ऐसा पर्व है। जिसे सिर्फ भाई-बहन ही मनाते हैं। हमारे हिंदू ग्रंथों में इसको लेकर अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।

जिसमें एक कथा के अनुसार कहा जाता है, कि युधिष्ठिर के यज्ञ में शिशुपालध्दारा द्वारा जब भगवान श्री कृष्ण का अपमान किया गया।
तब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल से क्रोधित होकर अपने सुदर्शन चक्र से उसे मारने का फैसला किया।

और जब वह अपना सुदर्शन चक्र शिशुपाल पर छोड़ रहे थे। तभी उसकी उंगली सुदर्शन चक्र में फंस गई और उनके उंगली से खून बहने लगा। इसे देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी को फाड़ कर उसका एक छोटा सा टुकड़ा श्री कृष्ण के उंगली में बांध दी।

जिससे वे काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने द्रौपदी को वचन दिया कि, हर स्थिति में वे सदैव द्रोपदी की रक्षा करेंगे। और उन्होंने ऐसा ही किया। तब से यह पर्व मनाया जाता है।

दूसरे कथानुसार ऐसा कहा जाता है, कि सिकंदर द्वारा जब भारत पर आक्रमण किया गया। उसी समय उसकी पत्नी ने एक पूरू नामक राजा को राखी बांधकर उन्हें अपने भाई के रूप में स्वीकार किया।

और अपने पति की रक्षा करने का उनसे वचन लिया। साथ ही पूरु ने भी अपना वचन निभाया। तब से ही यह त्यौहार हम भारतीयों द्वारा मनाया जाता है। हालाँकि इस पर्व को मनाने के पीछे कोई भी पौराणिक कथा क्यों न हो परंतु इतना तो सच है, कि-

रक्षाबंधन नामक यह त्यौहार भाई-बहन की अमर रिश्तो को और भी प्रगाढ़ बना देती है। इस दिन हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए ईश्वर से अपने भाई की दीर्घायु की कामना करती है।

Long Type Essay on  Raksha Bandhan in Hindi

जिस प्रकार हम भारत को ऋतुओ का देश कहते हैं। उसी प्रकार से अगर हम भारत को त्योहारों का देश कहे तो शायद कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि हमें लगता है, कि दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है। जहां हर महीना कोई-न-कोई त्यौहार मनाया जाता है।

हमारी भारतीय संस्कृति में कोई ऐसा महीना ही नहीं होता है। जिसमें कोई पर्व त्योहार न हो। सबसे बड़ी बात तो यह है, कि हम भारतीय काफी धूमधाम से इसे मनाते भी हैं।

वैसे तो हिंदू समाज के तीन प्रमुख त्यौहार हैं। होली, दीपावली और दशहरा। परंतु इसके अलावा भी एक पर्व है, जिसे हम रक्षाबंधन के नाम से जानते हैं। जो खासतौर पर हिंदू धर्म को मानने वालों के लिए बहुत ही खास होता है।

रक्षाबंधन दो शब्द रक्षा+बंधन से मिलकर बना है। जिसमें रक्षा का अर्थ होता है- सुरक्षा तथा बंधन का अर्थ होता है- बाध्य, अर्थात रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ होता है। किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना।

किसी भी प्रकार के बंधन में बंधना भला किसको अच्छा लगता है? किसी को नहीं! लेकिन यह ऐसा बंधन है जिसमें लोग बड़ी प्रसन्नता से बंध जाते हैं। रक्षाबंधन नामक इस त्यौहार में जो राखी या फिर कहें तो रक्षा सूत्र होता है।

उसका हमारे यहां सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। चाहे वह रक्षा सूत्र कच्चे सूत जैसी सस्ती वस्तु हो या रेशम धागे, रंगीन कलावे, सोना और चांदी जैसी महंगी वस्तु हो। हमारे समाज में उसका महत्व बराबर ही होता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि आधुनिकता के इस दौर में प्रायः सभी जाति-वर्ग के लोग इसे सामान रूप से मनाते हैं। यह संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाने वाला एक पारिवारिक त्यौहार है।

यह त्योहार निश्चित रूप से भाई-बहन के पवित्र प्रेम का त्यौहार है। हम भारतीयों के लिए सबसे बड़ी बात तो यह है, कि आज वैज्ञानिकता के इस युग में प्रवेश कर जाने के बाद भी हम अपनी संस्कृति को कायम रखे हुए हैं।

Raksha Bandhan History in Hindi। रक्षा बंधन का इतिहास

यहां पर रक्षाबंधन का इतिहास शब्द से तात्पर्य यह है, कि आखिर रक्षाबंधन हम मनाते क्यूँ हैं – Why we Celebrate Raksha Bandhan in Hindi?

तो आइए आज हम लोग रक्षाबंधन पर इस लेख (Raksha Bandhan Par Lekh) के माध्यम से, रक्षाबंधन से जुड़ी विभिन्न ऐतिहासिक, धार्मिक, साहित्यिक, सामाजिक, पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जाने का प्रयास करते हैं।

आज तक इस सच्चाई का पता नहीं चल पाया है, कि रक्षाबंधन का त्यौहार कब से प्रारंभ हुआ। लेकिन फिर भी कई पौराणिक साक्ष्यों और ग्रंथो में लिखित कथाओं और कहानियों के आधार पर हम इसके इतिहास को जानने का प्रयास करते हैं।

एक कथानुसार कहा जाता है, कि करीब 400 वर्ष पूर्व मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु हो गई। तत्पश्चात सिंहासन की बागडोर कुमार विक्रमादित्य के हाथो में सौंपा गया। लेकिन उस समय विक्रमादित्य बहुत ही कम आयु के थे।

साथ ही उन दिनों मेवाड़ो के सरदारों में भी आपसी फूट चरम सीमा पर जा पहुंची थी। अपने लिए सही मौका देखकर बहादुरशाह जो गुजरात के शासक थे, ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया।

परंतु विपदा की उस घड़ी में भी राजमाता अर्थात महाराणा संग्राम सिंह की पत्नी कर्णावती घबरायी नहीं। उन्होंने उस विपदा की स्थिति में ही बादशाह हुमायूं, जो उस समय दिल्ली का शासक था, को राखी और एक पत्र भेजा।

पत्र में लिखा था :-“महाराज अब संसार में नहीं रहे, कुमार अभी बाल्यावस्था में है। राज्य में आपसी फूट है। गुजरात का शासक बहादुरशाह, जो कभी महाराज के शरणागतों में था। किले पर चढ़ आया है। मैं राखी भेज रही हूं, आप इसे स्वीकार करें। आप महाराज की सिंहासन की, रक्षा करें। मैं तो अपनी रक्षा अग्नि द्वारा कर लूंगी।”

राखी और पत्र पाते ही हुमायूं ने उन्हें अपनी बहन के रूप में स्वीकार करते हुए। उनकी रक्षा का संकल्प लिया तथा उसने अपनी सेना के साथ मेवाड़ के लिए कुच किया।

वहीं दूसरी कथा के अनुसार कहा जाता है, कि काफी समय पूर्व सुर और असुर के मध्य भयंकर युद्ध हुआ था। जिसमें सुर गण पराजय की स्थिति में थे।

ऐसी स्थिति को देखकर देवराज इंद्र की पत्नी अपने मंत्रों से युक्त एक धागे को अपने पति के कलाई पर बांधी थी। और उसी रक्षा सूत्र के प्रभाव से उन्हें जीत मिली। तभी से रक्षा के इन सुत्रों का महत्व मान लिया गया।

तीसरी घटना के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि महाभारत में दुष्ट राजा शिशुपाल को मारते समय जब सुदर्शन चक्र से श्री कृष्ण के हाथ का एक उंगली जख्मी हो गया था।

तब जाकर द्रौपदी ने अपने कपड़े के एक टुकड़ा को उनके उंगली में बांधी थी। जिससे काफी प्रसन्नचित होकर श्री कृष्ण ने उन्हें अपनी बहन मानते हुए, उसकी हर मोड़ पर रक्षा करने का वचन दिया और कई बार श्री कृष्ण ने उनकी रक्षा कर अपना वचन भी निभाया।

चौथी मान्यता अनुसार कहा जाता है, कि प्राचीन समय में जब क्षत्रिय युद्ध करने जाते थे। तब उसके परिवार की महिलाएं उनके हाथ में रेशमी धागा और माथे पर कुमकुम लगाती थी। क्योंकि उनका विश्वास था, कि ऐसा करने से उन्हें विजय प्राप्त होगी।

एक अन्य कथानुसार कहा जाता है, कि सिकंदर द्वारा जब भारत पर आक्रमण किया गया था। उस समय भारत का सम्राट पूरू हुआ करता था। और वह इतने शक्तिशाली थे, कि उनसे कोई भी विदेशी आक्रमणकारी नहीं बच पाते थे।

सिकंदर की पत्नी इन बातों से अच्छी तरह अबगत थी। इन्हीं कारणों से उन्होंने अपने पति की रक्षा हेतु। हिंदू सम्राट पूरू को राखी बांधकर अपना मुंहबोला भाई बना ली और किसी भी स्थिति में अपने पति को न मारने की उससे वचन ली और पूरू ने भी अपने वचन और राखी का सम्मान किया।

हालांकि इसकी कहानी जो भी हो। परंतु सबका सार एक ही निकलता है। लेकिन मुख्य रूप से मध्यकाल की एक ऐतिहासिक घटना के बाद रक्षाबंधन का यह त्यौहार भाई-बहन का त्यौहार बन गया।

Raksha Bandhan Kab Manaya Jata Hai – रक्षाबंधन कब मनाया जाता है? (When We Celebrate Raksha Bandhan)

रक्षाबंधन नामक यह त्यौहार न सिर्फ हिंदुओं का बल्कि जैनियों का भी एक प्रमुख पर्व है। जैसा कि हम पहले ही जान चुके हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि दोनों ही समुदाय के लोग इसे एक ही दिन मनाते हैं।

जिस प्रकार अन्य सभी त्योहार हर साल अपनी नियत समय से आती है। ठीक उसी प्रकार रक्षाबंधन नामक यह पवित्र त्यौहार भी प्रतिवर्ष अपने निश्चित समय अर्थात “श्रावण मास” या फिर कहे तो जुलाई-अगस्त के महीना में आता है।

साथ ही इसे श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा (भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार) को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि इसे हर साल श्रावण मास अर्थात सावन के महीना में ही मनाया जाता है। यही कारण है कि, इसे “श्रावणी या सलूनो” भी कहा जाता है।

भारत के कई अन्य क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे- जहां उत्तरांचल में इसे श्रावणी नाम दिया गया है। वहीं महाराष्ट्र में यह “नारियल पूर्णिमा” के नाम से विख्यात है।

जबकि तमिलनाडु, उड़ीसा, केरल, महाराष्ट्र के दक्षिण भारतीय ब्राह्मण इस पर्व को “अवनि अवित्तम” कहते हैं। खास बात तो यह है, कि ब्राह्मणों में इसका विशेष महत्व है।

Importance of Raksha Bandhan in Hindi। रक्षाबंधन का महत्व

अब जहाँ तक बात है। रक्षाबंधन नामक इस प्रसिद्ध त्योहार के महत्व की तो, इस संबंध में हम कह सकते हैं, कि निश्चित तौर पर रक्षाबंधन नामक यह पर्व मुख्य रूप से भावना और संवेदनाओं का पर्व है।

साथ ही हमारे भारतीय संस्कृति में यह एक अकेला त्यौहार है, जो हम भाई-बहनों के पवित्र रिश्ता को हमेशा कायम रखने और एक दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों को समझने का संदेश देती है। इसका न सिर्फ सामाजिक बल्कि अन्य कई मायनों में भी काफी महत्व है।

रक्षा बंधन की तैयारियाँ

रक्षाबंधन पर इस लेख के माध्यम से आइए आज हम इसकी तैयारी से लेकर रक्षाबंधन मनाने अर्थात रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है? (How to Celebrate Raksha Bandhan) तक की सारी बातें जानने का प्रयास करते हैं।

हमारी भारतीय संस्कृति में मनाए जाने वाले पर्व में जिस प्रकार होली का समय आते ही दुकाने पिचकारीयों, रंग और गुलालो से, और दीपावली के नजदीक आते ही सभी छोटी-बड़ी दुकानें पटाखों से सजनी शुरू हो जाती है।

ठीक उसी तरह से रक्षाबंधन नामक इस त्यौहार के करीब आते ही लगभग सभी छोटे-बड़े Shop रंग-बिरंगे राखियो और मनमोहक उपहारों से सजने प्रारंभ हो जाते हैं। जो बाजारों में एक अलग ही आकर्षक दृश्य उपस्थित करती है।

चारों ओर जहां भी नजर दौड़ाते हैं। हमें दुकानों पर मुख्य रूप से महिलाओं और युवतियों की भीड़ ही नजर आती है। इस त्यौहार की तिथि आने तक बाजारों में ऐसी ही चहल-पहल बनी रहती है।

और रक्षाबंधन के दिन न सिर्फ बहने बल्कि भाई भी सुबह-सवेरे स्नान आदि करके नए-नए कपड़े पहन कर तैयार हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें भी तो राखी बंधवानी है।

तत्पश्चात बहने एक थाली में चावल, दही, कुमकुम और मिठाई सजाकर अपने भाई को सामने बैठ आती है और उन्हें ललाट पर दही मिले चावल और कुमकुम का टीका लगाती है।

फिर वह ईश्वर से अपने भाई की लंबी उम्र और हर विकट स्थिति में उनकी रक्षा की कामना करते हुए। उनके हाथों की कलाई में राखी बांधती है और उन्हें मिठाई खिलाती है। साथी भाई भी बहनों को सदा रक्षा का वचन देकर कुछ उपहार (Gift) देते हैं।

उपसंहार (Conclusion)

वास्तव में रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम-स्नेह का त्यौहार है और हम भारतीयों के लिए निश्चित रूप से यह बहुत बड़ी बात है कि, प्राचीनता से आधुनिकता के इस दौर में प्रवेश कर जाने के बाद।

आज भी हम भारतीय अपनी संस्कृति को बनाए हुए हैं। लेकिन आज हमारे ही समाज में कुछ ऐसी-ऐसी घटनाएं हो रही हैं। जो क्षण भर में ही हमारे बीच की पवित्र रिश्ते और रक्षाबंधन (About Raksha Bandhan in Hindi) नामक इस त्यौहार की सारी मान्यताएं और पवित्रताएं को शर्मसार कर देती है।

जो हम भारतीयों के लिए निश्चित रूप से एक अभिशाप साबित होती है। अतः आवश्यकता है, कि हमें अपनी सोच की ऊँची बनानी करनी चाहिए और रक्षाबंधन नामक इस पर्व की महत्ता को समझनी चाहिए। तभी दुनिया के समक्ष हम भारत के एक अलग पहचान को कायम रख पाएंगे।

10 Lines on Raksha Bandhan in Hindi

  • रक्षाबंधन मुख्य रूप से भाई-बहन का त्यौहार है।
  • प्रति वर्ष यह श्रावण मास को ही मनाया जाता है।
  • इसे “श्रावणी या सलूनो” के नाम से भी जाना जाता है।
  • भारत के अलावा इसे नेपाल और मॉरीशस जैसे देश में भी मनाया जाता है।
  • यह हिंदू एवं जैन दोनों का ही मुख्य पर्व है।
  • यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ता को और भी प्रगाढ़ बना देती है।
  • इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी है।
  • रक्षाबंधन का अर्थ होता है- सुरक्षा के लिए बाध्य होना।
  • रक्षाबंधन के अवसर पर हमारी Government द्वारा कई तरह की छूट दी जाती है।
  • राखी कच्चे सूत के धागे जैसी सस्ती चीजों से लेकर रेशम, सोना और चांदी जैसी महंगी चीजें भी हो सकती है।

Raksha Bandhan Related Some FAQs

  1. रक्षाबंधन क्या है?

    रक्षाबंधन मुख्य रूप से हिंदू और जैन धर्म द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है।

  2. रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?

    रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

  3. रक्षाबंधन को और किन नाम से जाना जाता है?

    रक्षाबंधन को राखी, सलूनो, श्रावणी आदि नामों से जाना जाता है।

  4. भारत के अलावा रक्षाबंधन किन-किन देशों में मनाया जाता है?

    भारत के अलावा नेपाल अमेरिका इंग्लैंड आदि देशों में भी रक्षाबंधन मनाया जाता है।

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