पक्षियों के बारें में (Information of Birds in Hindi) : Friends, अगर आप भी विभिन्न पक्षियों के बारे में जानने के इच्छुक है, तो निश्चित रूप से आज का यह Artical आपके लिए है।
क्योंकि आज मैं इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी को विभिन्न पक्षियों के बारे में विस्तार से बताने वाली हूँ। उम्मीद करती हूँ कि, आज का यह आर्टिकल आप के लिए Helpful होगी।
तो चलिए, चलते हैं अपनी मुद्दों की ओर और जानते हैं, विभिन्न पक्षियों से संबंधित कुछ अनकहे, अनसुने और रोचक बातें।
Information of Birds in Hindi। पक्षियों के बारे में
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हमारे पृथ्वी पर मौजुद वे प्राणी जो अपने पंख की सहायता से आसमान की सैर करती है, उसे पक्षी कहा जाता है। हमारे पृथ्वी पर पक्षियों की लगभग 10,000 प्रजातियां पाई जाती है।
जिनमें से लगभग 1200 प्रजातियां हमारे देश भारत में पाए जाते हैं। पक्षियाँ कई रंगों में पाया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि हर पक्षी आकार और वजन में अलग-अलग होते हैं।
जीव विज्ञान में पक्षियों को “एविस् श्रेणी” की प्राणियों में रखा गया है। हमारे पृथ्वी पर मौजूद पक्षियों में से कुछ पक्षी शाकाहारी तो कुछ मांसाहारी होती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है, कि कुछ पक्षी सर्वाहारी भी होती है। पक्षी अपने पंखों की सहायता से कई सौ किलोमीटर तक उड़ सकती है।
यह हमारे पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह प्राणी पृथ्वी पर आर्कटिक से अंटार्कटिक महासागर तक फैली है।
पक्षी पृथ्वी पर उपस्थित सबसे सुंदर और आकर्षक प्राणियों में से एक है। पक्षियों के बारे (Information of Birds in Hindi) में एक रोचक बात तो यह है कि, कुछ पक्षियाँ उड़ नहीं पाती है। यह एक रीढ़ धारी जीव है। आईए अब हम पृथ्वी पर मौजूद कुछ पक्षियों के बारे में विस्तार से जानते है।
तोता (Parrot) : About Parrot in Hindi
तोता एक मध्यम आकार का सुंदर और शांत पक्षी है, जो काफी आकर्षक होता है। यह विश्व के लगभग हर देशों में पाया जाता है। तोता कई रंगों (Colour of Parrot) का होता है।
जैसे- पीला, लाल, सतरंगी, हरा, सफेद। यह 10 से 12 इंच लंबा होता है। आमतौर पर तोता का जीवन काल (Average age of parrot) 10 से 15 वर्षों का होता है।
भारत में तोता अक्सर हरे रंग का होता है तथा इसकी चोंच लाल होती है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर इसकी 350 से अधिक प्रजातियां (Species of Parrots) पाई जाती है।
तोता की आंख चमकदार और काले रंग की होती है। तोता के बारे में सबसे खास बात तो यह है, कि यह बहुत ही बुद्धिमान होता है।
तोता को विज्ञान (Scientific Name of Parrot) के क्षेत्र में “Pssittaciformes” कह कर पुकारा जाता है।
यह एक शाकाहारी पक्षी है, जो बीज, आम ,अमरूद, मिर्च इत्यादि खाता है। तोता की आवाज कर्कश भरी होती है। तोता का मुख्य निवास स्थान न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया है।
तोता एक ऐसा पक्षी है, जिसमें नर और मादा में अंतर कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है। वैसे मादा तोता (Female Parrot) का गर्व काल 24 से 28 दिनों का होता है।
इसकी एक खासियत यह भी है, कि तोता के हर प्रजाति का अंडा सफेद ही होता है। तोता को प्यार से मिट्ठू कह कर पुकारा जाता है।
तोता मनुष्य के आवाज का नकल कर बोल सकता है। यह काफी तेज उड़ सकता है। साथ ही साथ इस के पंजे बहुत ही मजबूत होते हैं।
तोता हमेशा झूंड में रहता है। यह काफी मनमोहक पक्षियों में से एक है। जिसे हर कोई पालना चाहता है। वास्तव में, तोता एक सुंदर और मनमोहक पक्षी है।
कबूतर (Pigeon) : About Pigeon in Hindi
कबूतर एक शांत स्वभाव की पक्षी है , जिसे शांति का प्रतीक माना जाता है। कबूतर की सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि, इस की याददाश्त बहुत तेज होती है।
यही कारण है कि, इसका उपयोग पुराने जमाने में संदेश पहुंचाने के लिए किया जाता था। कबूतर का शरीर पंखों से ढका होता है। साथ ही साथ इसकी एक चोंच होती है।
वैसे तो कबूतर कई रंगों (Colour of Pigeon) में पाया जाता है। परंतु भारत में कबूतर का रंग स्लेटी और सफेद होता है। यह उन पक्षियों में से एक है जो पूरे संसार में पाया जाता है।
कबूतर एक शाकाहारी पक्षी है जो दाना, दाल, अनाज, बीज इत्यादि खाता है। इसका आयु काल (Average age of Pigeon) 6 से 10 वर्षों का होता है।
आमतौर पर कबूतर 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकती है। पहले के समय में युद्ध के दौरान संदेश पहुंचाने वाली कबूतर को जंगी कबूतर कहा जाता था।
कबूतर को लोग घरों में पालते हैं। इसके पीछे उनका मुख्य उद्देश्य कबूतर से मांस प्राप्त करना होता है, क्योंकि इसका मांस बहुत ही पौष्टिक होता है।
यह पक्षी झुंड में रहना पसंद करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि, कबूतरों को मनुष्यों द्वारा लगभग 6000 साल से भी अधिक वर्षों से पाला जा रहा है। वास्तव में, कबूतर एक शांत स्वभाव की पक्षी है।
मोर (Peacock) : About Peacock in Hindi
मोर एक बहुत ही खूबसूरत पक्षी है। इसकी अद्वितीय सुंदरता के कारण ही भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी 1963 को मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था।
मोर भारत के अलावा दक्षिण पूर्वी एशिया और अफ्रीका महादेश के कांगो बेसिन में भी पाया जाता है। औसतन मोर का जीवनकाल (Average age of Peacock) 10 से 25 वर्षों का होता है।
वर्षा ऋतु के दौरान काले बादल छाने पर जब मोर अपना पंख फैलाकर नाचती है। तो ऐसा प्रतीत होता है कि, मानो मोर हीरा से जड़े शाही पोशाक पहन रखी है।
इतना ही नहीं बल्कि मोर के सिर पर स्थित कलगी जो ताज के समान प्रतीत होती है। इन्हीं सब विशेषताओं की वजह से मोर को पक्षियों का राजा (King of the Birds) कहा जाता है।
भारत में नीला मोर पाया जाता है। जबकि दक्षिण पूर्वी एशिया में हरा मोर पाया जाता है। मोर कई रंगों (Colour of a Peacock) में पाया जाता है। जैसे- जामनी, धुमैला (Grey) और सफेद।
धुमैला रंग की मोर म्यांमार की राष्ट्रीय पक्षी है। हमारे प्राचीन इतिहास में भी मोर का महत्वपूर्ण स्थान था, क्योंकि मोर भारत के विशाल साम्राज्य में से एक मौर्य साम्राज्य का राष्ट्रीय चिन्ह था।
और चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल में सिक्कों पर मोर के ही चित्र अंकित रहते थे । इतना ही नहीं बल्कि भारतीय धार्मिक संस्कृति में भी मोर का विशेष स्थान है।
क्योंकि मोर के पंख को भगवान श्री कृष्ण अपने सिर पर धारण करते हैं। मोर का वैज्ञानिक नाम (Scientific name of Peacock) “Pavo Cristatus” होता है।
मोर के पंख वर्षा ऋतु में झड़ जाते हैं। परंतु ग्रीष्म ऋतु के पहले यह पंख फिर से निकल आते हैं। मोर के रंग बिरंगे पंख केवल नर मोर में पाया जाता है।
मोर की पूंछ के गुच्छों में पंखों की संख्या डेढ़ सौ तक हो सकती है। आमतौर पर मादा मोर (Female Peacock) को Peahen और नर मोर (Male Peacock) को Peacock कहा जाता है।
साथ ही साथ दोनों को सम्मिलित रूप से “Peafowl” कहा जाता है। मोर में लिंग का पता बेहद आसानी से लग जाता है, क्योंकि मादा मोर के सिर पर स्थित कलगी छोटा होता है जबकि नर मोर का कलगी बड़ा होता है।
मादा मोर साल में दो बार अंडे देती है और एक बार में 4 से 8 अंडे तक दे सकती है। मादा मोर अक्सर अपने अंडे किसी गड्ढे में देती है। इन अंडों से बच्चे को निकलने में 25 से 30 दिन का वक्त लगता है।
मोर ज्यादा उड़ नहीं पाते हैं। इस कारण इसका शिकार आसानी से हो जाता है। मोर सबसे लंबे पंख वाली पक्षी है। इसकी कुल लंबाई पंख सहित 5 फीट तक हो सकती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि, मोर को किसानों का मित्र कहा जाता है, क्योंकि यह खेतों से चूहे, कीड़े-मकोड़े, सांपों इत्यादि को खा जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि, मोर एक बेहद खूबसूरत पक्षी है।
हंस (Swan) : About Swan in Hindi
हंस एक जलचर पक्षी है, क्योंकि यह अपना ज्यादातर समय पानी में ही बिताती है। हंस बेहद खूबसूरत पक्षियों में से एक है। भारत में हंस का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।
यह अक्सर हमें किसी तालाब या झील में तैरती दिख जाती है। हंस काफी शांत और शर्मीला स्वभाव की पक्षी है। हंस मुख्य रूप से एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अमेरिका में पाया जाता है।
अफ्रीका महादेश में हंस नहीं पाया जाता है। हंस का रंग (Colour of Swan) आमतौर पर सफेद और काले रंग की होती है। काले रंग की हंस मुख्यतः ऑस्ट्रेलिया में ही पाया जाता है।
दुनिया भर में हंस की 7 प्रजातियां (Species of Swan) है। जो अलग-अलग देशों में पाया जाता है। हंस की लंबाई तकरीबन डेढ़ मीटर और वजन 10 से 12kg तक होता है।
इसका गर्दन लंबा और सुराहीदार होता है। हंस का मुंह छोटा और बिना दांत का होता है। हंस अपना भोजन (Food of Swan) जलीय पौधा, घास ,कीड़े, फलों के बीज और छोटी मछलियों को खाकर प्राप्त करता है।
वैसे मादा हंस (Female Swan) का वजन नर से कम होता है। हंस की पैरों की बनावट झिल्ली दार होती है। यह तैरते हुए ही सोता है। हंस के बारे में एक रोचक बात तो यह है कि,
इसके प्रजातियों की चोंच अलग-अलग रंगों की होती है। जैसे-लाल, पीला, काला इत्यादि। हंस का जीवनकाल 10 से 15 वर्षों का होता है। परंतु अनुकूल परिस्थिति में यह अपने औसत उम्र से ज्यादा जी सकती है।
मादा हंस को हंसिनी कहा जाता है। इतना ही नहीं हंस को प्रेम का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि हंस और हंसिनी मरते दम तक एक-दूसरे के साथ रहते हैं।
यह हमेशा जोड़े में रहते हैं। हंस को लगभग 25 हजार पंख होते हैं I हंस उड़ने के दौरान 6 से 8 फीट का हो जाता है। वैसे तो हंस ज्यादा देर तक नहीं उड़ सकता।
परंतु फिर भी यह 95 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने में सक्षम होता है। मादा हंस तालाब के किनारे झाड़ियों में 4 से 8 अंडे देती है। मादा 40 दिन तक अंडे सेहती है। तब उसमें से बच्चे निकलते हैं।
यह बच्चे छ्ह माह तक अपनी मां के पास रहता है। भारतीय हिंदू समाज में भी हंस का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि Swan सरस्वती मां का वाहन करता है। वास्तव में, हंस एक विशेष जीव है।
गौरैया (Sparrow) : About Sparrow in Hindi
गौरैया एक छोटा सा चंचल पक्षी है। जो मुख्य रूप से अब ग्रामीण क्षेत्रों में ही पाया जाता है। गौरैया संपूर्ण एशिया और यूरोप महादेश में पाया जाता है।
इसका वजन (Weight of Sparrow) 50 ग्राम से भी कम होता है। यह आज शहरों में बहुत ही कम दिखाई देता है। गौरैया वर्तमान समय में विलुप्ती के कगार पर पहुंच गया है।
इसकी संरक्षण हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इसीलिए तो 20 मार्च को “World Sparrow Day” मनाया जाता है। आमतौर पर गौरैया का जीवनकाल 4 से 7 वर्षों का होता है।
यह हमेशा उछलकर चलती है और अपना पूंछ हिलाते रहती है। गोरैया औसतन 35 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है।
यह मात्र 14 से 16 सेंटीमीटर लंबी होती है। गौरैया का रंग (Colour of Sparrow) हल्के भूरे और सफेद होती है। साथ ही साथ इसका चोंच पीला होता है। इसका आवाज (Voice of Sparrow) बहुत ही मधुर होता है I
दुनिया भर में गौरैया के 43 प्रजातियां (Species of Sparrow) पाई जाती है। गौरैया एक सर्वाहारी पक्षी है। यह बीज, फल, दाना, अनाज, कीट -पतंगे इत्यादि खाता है।
मादा गोरैया (Female Sparrow) औसत रूप से 1 साल में 3 से 5 अंडे देती है। गोरैया बिहार और दिल्ली की राजकीय पक्षी है। आज प्रदूषण, मोबाइल टावर से निकले तरंगों के कारण गोरैया विलुप्ती के कगार पर पहुंच गई है।
यह देखने में काफी आकर्षक होता है। गौरैया को मांस के लिए भी मारा जाता है। नर गौरैया (Male Sparrow) को आम भाषा में चिड़ा और मादा को चिड़ी कहा जाता है। गौरैया वास्तव में हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है।
कौआ (Crow) : About Crow in Hindi
कौआ बहुत ही तेज और चतुर पक्षी है। इसकी संख्या काफी है। यह काले रंग का होता है। साथ ही इसका गर्दन स्लेटी रंग का होता है। कौआ आम तौर पर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पाया जाता है।
यह कीट -पतंगों, रोटी, मांस, घरेलू भोजन इत्यादि खाता है। कौआ का उम्र औसतन 18 से 20 वर्षों का होता है। इसका वैज्ञानिक नाम Corvus होता है।
इसका शक्ल काफी हद तक कोयल से मिलती-जुलती है। कौआ पेड़ों पर घोंसला बनाकर रहता है। यह हमेशा अपने साथी के साथ रहता है।
इसका वजन आधा किलोग्राम से डेढ़ किलोग्राम के बीच होता है। कौआ काफी बुद्धिमान पक्षी है। यह अक्सर झुंड में देखने को मिलता है।
कौआ एक पर्यावरण संरक्षक पक्षी है, क्योंकि यह पर्यावरण में फैले गंदे को खाकर साफ करता है। कौआ को शुभ और अशुभ दोनों का प्रतीक माना जाता है।
यह मनुष्यों की तरह चेहरा देख कर याद रख सकता है। भारतीय हिंदू धर्म में श्राद्ध के दिन कौआ को भोजन खिलाने से ऐसा माना जाता है कि, पूर्वजों को अगला जीवन अच्छा मिलेगा।
इसकी आवाज कर्कश भरी होती है। कौआ के प्रति लोगों का रवैया बहुत ही संवेदनशील होता है।अतः हम कर सकते हैं कि कौआ एक पर्यावरण संरक्षक पक्षी है।
तीतर (Titar) : About Titar in Hindi
तीतर एक ऐसी पक्षी है, जो मुख्य रूप से एशिया, अफ्रीका और यूरोप महादेश में पाया जाता है। दुनिया भर में इसकी 40 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है।
भारत में तीतर पक्षी काला और भूरा रंग का होता है। आमतौर पर यह पक्षी जमीन पर रहता है। यह बहुत कम समय के लिए और बहुत कम उड़ता है।
यह अक्सर अकेला रहता है। यह विभिन्न रंगों में पाया जाता है। जैसे- सफेद, काला और रंग-बिरंगे। इसके पंख छोटे और उसके ऊपर भूरे रंग की धारियां पाई जाती है।
इतना ही नहीं इसके पंखों के नीचे का भाग सफेद होता है। तीतर का सिर और पूंछ छोटा होता है। परंतु उसका पंजा बहुत ही नुकीला और मजबूत होता है।
तीतर को जमीन पर आसानी से भोजन मिल जाता है। यही कारण है कि, यह पेड़ो के बजाय जमीन पर ही अपना घोंसला बनाता है। इसके आवाज को काफी दूर से भी सुना जा सकता है।
नर तीतर का शरीर मादा तीतर की अपेक्षा अधिक चमकदार होता है। मादा तीतर औसतन एक बार में 5 से 8 अंडे देती है। इन अंडों का रंग लाल अथवा पीला होता है।
तीतर का बच्चा 15 दिन में ही उड़ने में सक्षम हो जाता है। तीतर का मुख्य भोजन बेरी, अनाज, फल, दीमक और चीटियां है। एक वयस्क तीतर का वजन 300 ग्राम और आकार 30 सेंटीमीटर होता है।
यह किसानों का हितैषी माना जाता है, क्योंकि तीतर खेतों से कीट-पतंगों को खा जाता है। अतः तीतर एक छोटा सा पर महत्वपूर्ण पक्षी है।
बुलबुल (Bulbul) : About Bulbul in Hindi
बुलबुल एक छोटा सा पक्षी है, जो 14 से 28 सेंटीमीटर तक हो सकती है। बुलबुल की आवाज बहुत ही मीठी होती है। हम बुलबुल के गीतों को दिन और रात दोनों समय में सुन सकते हैं।
परंतु बुलबुल ज्यादातर रात में गाती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि यह 200 अलग-अलग धुनों में गा सकती है। बुलबुल के शरीर का रंग भूरा, मटमैला या गंदा पीला और हरा होता है।
यह मुख्य रूप से बीज, फल और कीड़ा खाता है। सबसे रोचक बात तो यह है कि केवल नर बुलबुल ही गीत गाता है। उसके गीत गाने का मुख्य उद्देश्य संभोग के लिए मादा बुलबुल को आकर्षित करना होता है।
बुलबुल को उसके पतले शरीर, लंबी पूंछ और उठी हुई चोटी के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है। बुलबुल की दुनिया भर में सत्रह सौ से अधिक प्रजातियां पाई जाती है।
ग्रीनबुल और ब्राउनबुल बुलबुल की प्रसिद्ध प्रजातियां है। भारत में भी बुलबुल की कई प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें सिपाही बुलबुल और गुलदुम बुलबुल है।
बुलबुल मुख्यतः एशिया, अफ्रीका और यूरोप में पाया जाता है। बुलबुल ईरान की राष्ट्रीय पक्षी है। इसका जीवनकाल 1 से 3 वर्षों का होता है।
बिल्ली, सांप, छिपकली इत्यादि बुलबुल की प्राकृतिक शत्रु है। बुलबुल के झगड़ा करने के प्रवृति के कारण लोग इसे पालते हैं।
बुलबुल को पिंजरे में नहीं बल्कि इसके पेट को लोहे की छड़ से बांधकर रखा जाता है। लोहे के छड़ को चक्कस (Chakkas) कहा जाता है। जो टी (T) आकार का होता है।
बुलबुल अपना घोंसला रेशेदार जड़ और मृत पत्तों से कप के आकार का बनाता है। आमतौर पर मादा बुलबुल एक बार में 5 से 6 अंडे देती है।
तथा इन अंडों से बच्चे निकलने में 15 से 20 दिनों का समय लगता है। यह बच्चे तीन से 5 दिनों में ही उड़ने में समर्थ और आत्मनिर्भर हो जाता है।
सिपाही बुलबुल की एक खासियत यह है कि, उसके गर्दन में दोनों ओर कान के नीचे लाल रंग का निशान होता है। जो बलिदान की भावना का प्रतीक माना जाता है।
सिपाही बुलबुल को बलिदान की भावना का प्रतीक मानते हुए प्रसिद्ध उर्दू शायर राम प्रसाद बिस्मिल ने कई सारे लिखी है। उनमें से एक प्रसिद्ध शायर हैं –
“क्या हुआ गर मिट गये अपने वतन के वास्ते।
बुलबुले कुर्बान होती है चमन के वास्ते॥”
कोयल (Cuckoo) : About Cuckoo in Hindi
कोयल एक चालाक चतुर पक्षी है, जो अपना अंडा दूसरे पक्षी के घोसला में रखकर उस पक्षी का अंडा खा जाता है। कोयल अक्सर कौआ के घोसले में अपना अंडा रखता है।
कोयल मुख्य रूप से कीड़े-मकोड़े सुंडी, झींगे और चीटियां खाती है। दुनिया भर में कोयल की 120 प्रजातियां (species of cuckoo) पाई जाती हैं।
कोयल की आवाज अन्य पक्षियों से बहुत ही ज्यादा मधुर और सुरीली होती है। लेकिन यह आवाज केवल नर कोयल ही निकाल सकता है।
कोयल हमेशा पेड़ों पर ही रहता है। यह कभी जमीन पर नहीं उतरता है। कोयल अंर्टाकटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों पर पाया जाता है।
कोयल अलग-अलग देशों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। जैसे- जापान में -Kak-ka, जर्मनी में -Kuckuk, रूस में -Kukush-ka, फ्रांस में -Coucou, हालैंड में -Koekoek तथा भारत में Koyal (koel)।
कोयल झारखंड के राजकीय पक्षी है। कोयल का जीवनकाल 4 से 6 वर्षों का होता है। दुनियाभर के सबसे छोटे कोयल का नाम Little Bronze Cuckoo है।
जो मात्र 6 इंच लंबा और लगभग 17 ग्राम का होता है, जबकि सबसे बड़ा कोयल 25 इंच लंबा और लगभग 630 ग्राम का होता है। जिसका नाम Channel Billed Cuckoo है।
कोयल की आवाज जैसा आवाज करने वाली घड़ी को Cuckoo clock कहा जाता है। जिसका आविष्कार 1730 ई० में Franz Anton ketterer ने किया था I
मादा कोयल एक बार में 12 से 20 अंडे देती है तथा अंडे में से बच्चा 12 दिनों में निकलता है। वैसे नर कोयल का रंग काला और मादा कोयल का रंग भूरा होता है।
साथ ही कोयल की आंखें लाल होती है। अतः हम कह सकते हैं कि कोयल एक बेहद ही सुरीली आवाज वाली पक्षी है।
बत्तख (Duck) : About Duck in Hindi
बत्तख एक जलीय पक्षी है, जो मुख्य रूप से नदी, तालाब और झील में पाया जाता है। वैसे तो बत्तख हंस की तरह ही दिखता है, परंतु बत्तख का गर्दन हंस की तुलना में छोटा होता है।
बत्तख का औसतन जीवन काल 7 से 10 वर्षों का होता है। वर्तमान समय में बत्तख पालन का कार्य व्यापक तौर पर किया जा रहा है।
क्योंकि बत्तख के अंडे और मांस को बेचा जाता है। बत्तख एक बहुत ही खूबसूरत पक्षी है जो कई रंगों में पाया जाता है। आमतौर पर सफेद रंग की बत्तख ज्यादातर पाया जाता है।
बत्तख की विश्व भर में 40 प्रजातियां पाई जाती है, जो खारे और मीठे दोनों पानी में रहते हैं। बत्तख के पंख जल रोधी होती है। इतना ही नहीं इसकी आंखों पर तीन पलक होती है।
बत्तख क्वेक-क्वेक की ध्वनि निकालता है। बत्तख एक सवाहारी पक्षी है जो पौधे, कीट और छोटी मछलियां को खाती है। इसकी चोंच चपटी और फैली होती है और पैर जालीदार होता है।
दुनिया की प्रसिद्ध कार्टून कैरेक्टर डोनाल्ड डक बत्तख का ही है। बत्तख का एक प्रजाति डाइविंग एक अच्छा गोताखोर होता है जो गहरा पानी में भी जाकर अपना भोजन तलाश करता है।
इसके अलावा डबलिंग नामक बत्तख का प्रजाति पानी के ऊपर ही तैरता है और जमीन पर अपना भोजन ढूंढ़ता है।
बत्तख का यह प्रजाति पूरी दुनिया में पाया जाता है। अतः हम कर सकते हैं कि बत्तख एक बेहद ही खूबसूरत जलीय पक्षी है।
मुर्गी (Hen) : About Hen in Hindi
मुर्गी घरों में पाले जाने वाला पालतू पक्षी है। जिसका मुख्य उद्देश्य व्यवसाय है, क्योंकि मुर्गी के मांस और अंडे को बेचा जा सकता है।
मुर्गी पालन आज के समय का एक व्यापक तौर पर किए जाने वाला व्यवसाय है। मुर्गी के अंडे में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है।
मुर्गी बहुत कम ऊंचाई पर और थोड़ी देर तक ही उड़ सकती है। मुर्गी कई रंगों में जैसे- सफेद , भूरा, लाल इत्यादि में पाया जाता है। मुर्गी अपने अंडे एक विशेष स्थान पर ही देती है।
आमतौर पर मुर्गी प्रतिदिन एक अंडे और कभी-कभी दो अंडे भी देती है I मुर्गी अंडे पर बैठकर अपने शरीर के गर्मी से अंडों को सीजती है।
जिससे बच्चा निकलता है। मुर्गी के बच्चे को चूजा कहा जाता है। मुर्गी मुख्य रूप से अनाज, बीज और कीड़े-मकोड़े खाती है।
अतः कहा जा सकता है कि, मुर्गी एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक पक्षी है।
गिद्ध (Vulture) : About vulture in Hindi
गिद्ध एक शिकारी पक्षी है, जो बहुत ही बड़ी और वजनदार होती है। गिद्ध मुख्य रूप से कत्थई और काले रंग की होती है। इसकी चोंच टेढ़ी और काफी मजबूत होती है।
वर्तमान समय में गिद्ध कई देशों में विलुप्त हो चुके हैं। यह अब कुछ गिने-चुने स्थानों पर ही पाया जाता है। यह हमारे पर्यावरण में मौजूद गंदगी को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखता था।
21वीं शताब्दी में उद्योगों और बढ़ते प्रदूषण के कारण गिद्ध विलुप्त हो चुकी है। यह एक बदसूरत पक्षी है, जो झुंड में रहता है। गिद्ध का वजन औसतन 5.5 से 6.5 kg के बीच होता है।
इसके पंख 5 से 7 फीट तक के होते हैं। गिद्ध की सूंघने और देखने की क्षमता बहुत ही तीव्र होती है। यह 1 किलोमीटर ऊपर से ही मरे हुए जीव का गंध सूंघ सकता है।
गिद्ध का आयु काल 30 से 35 वर्षों का होता है। विश्व भर में गिद्ध के 22 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें से 9 भारत में पाए जाते हैं। गिद्ध अपना घोंसला पेड़ों पर बनाता है।
भारत के राजस्थान में खेजरी के पेड़ों पर इसका घोसला पाया जाता है। मादा गिद्ध 2 साल में अंडे देती है। इन अंडों का रंग सफेद मटमैला और धब्बेदार होता है।
गिद्ध के अंडे का आकार मुर्गी के अंडे से थोड़ा बड़ा होता है। गिद्ध 5 साल की आयु में परिपक्व होकर प्रजनन करता है। गिद्ध का बच्चा 6 माह तक घोंसला में ही रहता है।
गिद्ध का सिर बाल रहित होता है। गिद्ध आमतौर पर गर्म और समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पानी बहुत पीता है। गिद्ध औसतन 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़ता है।
1990 तक गिद्ध 90% से अधिक प्रजातियां विलुप्त हो चुकी थी। अतः गिद्ध एक पर्यावरण संरक्षक पक्षी है।
बाज (Eagle) : About Eagle in Hindi
बाज एक बड़े आकार की पक्षी है। जो छोटे पक्षियों को मारकर खा जाती है। इसके पंख बड़े-बड़े होते हैं। बाज सफेद ,काला और भूरे रंग का होता है।
इसका भोजन मछली, कीट और मृत जानवर है। इसकी नजर बहुत तेज होती है।यह पूरे विश्व में पाया जाता है। बाज की 60 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है।
जिनमें से कुछ है- सी ईगल, हार्पि ईगल, क्रेस्टेड हॉक ईगल , फिलिफिन्स ईगल इत्यादि। वयस्क अवस्था में बाज का वजन 10 kg तक हो सकता है।
बाज का चोंच 90 डिग्री के कोण पर मुड़ी होती है। बाज अपना घोंसला ऊंचे पहाड़ों और पेड़ों पर बनाता है। बाज ज्यादातर पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में पाया जाता है।
बाज का पंजा बहुत ही ताकतवर होता है। बाज अपने शिकार को 5 किलोमीटर दूर से भी देख सकता है l इसकी आंखें बड़ी-बड़ी होती है।
बाज का जीवनकाल औसतन 70 वर्षों का होता है। लेकिन 40 वर्ष के बाद बाज शिकार करने में असक्षम हो जाता है। बाज युएई का राष्ट्रीय पक्षी है।
अरब देशों में बाज को लोग शौक के लिए पालते हैं। मादा बाज एक बार में 1 से 3 अंडे देती है। इन अंडों से बच्चे निकलने में 36 दिन लगते हैं तथा इसकी सुरक्षा नर बाज करता है।
बाज अपने से दुगुने शिकार को भी आसानी से शिकार बना सकता है। बाज की एक खासियत यह है कि, जब बाज बुढ़ा हो जाता है।
तो यह अपने पंजों, चोंच और पंख को तोड़ देता है। भारतीय हिंदू समाज में बाज का स्थान महत्वपूर्ण है। क्योंकि बाज भगवान का वाहन करता है।
बाज की आवाज तेज और कर्कश भरी होती है। अतः बाज एक बड़ी आकार वाली शिकारी पक्षी है।
चील (Kite) : About Kite bird in Hindi
चील आसमान में लंबे समय तक विचरण करने वाली एक पक्षी है। जो जिसका स्वभाव शिकार करना है। यह झपट्टा मारकर शिकार करता है।
यह कचरे और गंदगी वाले क्षेत्रों में ज्यादातर पाया जाता है। भारत में चील काफी संख्या में पाया जाता है। इसके पेट और छाती पर कत्थई रंग की धारियां पाई जाती है।
बाज का सबसे प्रिय शिकार खरगोश और चूहा है। दुनिया भर में चील की कई प्रजातियां पाई जाती है -काली चील, खैरी चील, ऑल बिल्ड चील और ह्विससिंग चील इत्यादि।
चील के शरीर की लंबाई 2 फिट होती है। मादा चील दो से तीन अंडे देती है जो सफेद रंग की होती है। जिस पर कत्थई रंग की चित्रियां पड़ी रहती है।
उल्लु (Owl) : About Owl in Hindi
उल्लू एक बेहद ही डरावना पक्षी है। जो अंटार्कटिका को छोड़कर हर जगह पाया जाता है। दुनिया भर में उल्लू के 200 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद है।
यह एक ऐसी पक्षी है। जो नीले रंग की होती है। उल्लू अपने दोनों आंखों की सहायता से 270 डिग्री तक बिना हिले देख सकता है।
इसकी एक अद्वितीय विशेषता तो यह है कि, उल्लू किसी भी वस्तु का 3D इमेज देख सकता है। उल्लू केवल रात को ही शिकार करता है।
दिन में यह अपने घोसले में ही रहता है। उल्लू मनुष्य की तुलना में 10 गुना धीमी आवाज को भी सुन सकता है। उल्लू के समूह को Parliament कहा जाता है।
उल्लू का जीवनकाल 28 से 30 वर्षों का होता है। इसके मुंह में दांत नहीं पाया जाता है। उल्लू का भोजन चूहा, सांप, गिलहरी इत्यादि है। यह उड़ते समय आवाज नहीं करता है।
उल्लू मुख्य रूप से पुराने वृक्षों, बरगद, खाली कुआं इत्यादि जगहों पर पाया जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि उल्लू रात में शिकार करने वाली एक अद्वितीय पक्षी है।
उपसंहार (Conclusion)
इस प्रकार, निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि, पक्षियाँ हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणी है। यह पृथ्वी पर उपलब्ध प्राणियों में सबसे खूबसूरत होती है।
हमें उन पक्षियों का संरक्षण करना चाहिए जो विलुप्त होने के कगार पर है या जिस पर विलुप्त होने का संकट मंडरा रहा है। यह हमारे पारिस्थितिक तंत्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणी है।
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