वर्षा ऋतु पर निबंध । Varsha Ritu in Hindi : Friends, आज मैं कक्षा 1 से 12वीं तक के सभी विद्यार्थियों के लिए वर्षा ऋतु (Varsha Ritu in Hindi) पर निबंध लिखने का प्रयास करी हूं।
इस निबंध के माध्यम से आज आप सब वर्षा ऋतु से जुड़ी विभिन्न तथ्यों के बारे में जान पाएंगे और हमारी कोशिश रहेगी कि मैं आप सभी को इस विषय से जुड़ी विभिन्न तथ्यों के बारे में काफी सरल शब्दों में अधिक-से-अधिक जानकारी दे पाऊं।
वर्षा ऋतु । Rainy Season in Hindi in 150 Words
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वर्षा ऋतु हमारे देश में पाए जाने वाले मुख्य ऋतुओ में से एक है। जिस प्रकार बसंत ऋतु और शरद ऋतु अपने आप में महठीक उसी प्रकार वर्षा ऋतु भीत्वपूर्ण है।अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। क्योंकि हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है और खास बात तो यह है कि, यहां की कृषि भी वर्षा आधारित है।
एक कारण यह भी है, जो हमारे देश में पाई जाने वाली वर्षा नामक इस ऋतु को और भी खास बना देती है। हमारे देश के लगभग सभी छोटे-बड़े किसान इस ऋतु की वेसब्री से इंतजार करते हैं। हमारे देश में वर्षा नामक इस ऋतु की शुरुआत ग्रीष्म के बाद और समाप्ति शरद ऋतु के पहले मानी जाती है।
अन्य ऋतुओ की तरह ही यह भी अपने समय से आती है और अपने समय से चले जाती है। जिस प्रकार अन्य ऋतुएं आती है और अपनी-अपनी खूबियो से प्रकृति की सुंदरता बढ़ाती है। ठीक उसी प्रकार वर्षा नामक यह ऋतु भी अपने समय से आकर प्रकृति की सुंदरता बढ़ाकर संपूर्ण भारतवर्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है।
हमारे देश के बच्चे से लेकर बूढ़े सभी इस मौसम का खूब मजा लेते है। खासकर हमारे देश के किसानो के लिए वर्षा ऋतु (Varsha Ritu in Hindi) बहुत ही उपयोगी और लाभदायक होता है।
Varsha Ritu in Hindi in 250 Words
हम सभी इस बात से पूर्णरूपेण अवगत है कि, हमारा देश भारत जलवायु विविधता से भरा है और इसी का परिणाम है कि यहां ऋतु के साथ-साथ मौसम भी परिवर्तित होते रहते हैं। अगर मैं आमतौर पर कहूं तो हमारे देश में कुल मिलाकर छ:ह ऋतुएँ पाई जाती हैं।
जिनमे ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत एवं वसंत ऋतु आती हैं। ये सभी ऋतुएँ अपने आप मे बहुत ही खास होती है। हमारे देश में पूरे एक वर्ष की अवधि में यह सभी ऋतुएँ अपने-अपने समय से आती है और अपने समय से समाप्त हो जाती है।
जिस प्रकार अन्य सभी ऋतुएँ अपने-अपने कामो के अनुसार अपना नाम प्राप्त करती है। ठीक उसी प्रकार वर्षा नामक यह ऋतु भी अपने कामो के अनुसार अपना दर्जा प्राप्त करती है। क्योंकि इस ऋतु में वर्षा बहुत होती है। यही कारण है कि, इसे वर्षा ऋतु के नाम से जाना जाता है।
वर्षा नामक इस ऋतु का शुरुआत हमारे देश में July और समाप्ति September माह मानी जाती है। हमारे देश के सभी लोगो को इस ऋतु का इंतजार रहता है। इतना ही नही यहां की जीव-जंतु, पशु-पक्षी भी इस ऋतु के आने का इंतजार करती है।
कुल मिलाकर कहे तो यहां बसने वाले समस्त सजीव जगत को इसके आने का इंतजार रहता है और यह सभी अपनी-अपनी अंदाजाे मे वर्षा नामक इस ऋतु का स्वागत करती है। एक कृषि प्रधान देश होने के कारण हमारे देश में इस ऋतु का महत्व और भी खास हो जाती है।
महत्वपूर्ण पहलू तो यह है कि, यहां की कृषि भी वर्षा आधारित है। जो हमारे देश में इस ऋतु की महत्ता को और भी बढ़ा देती है। हमारे देश के छोटे से लेकर बड़े सभी किसान इस ऋतु के आगमन का इंतजार करते हैं और इस ऋतु के आते ही उसका इंतजार खत्म होता है और वे सभी अपने-अपने खेती में लग जाते हैं।
हमारे देश के बच्चे, बूढ़े, जवान सभी इस ऋतु के खूब मजे उठाते हैं। हमारे देश की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाने में वर्षा नामक इस ऋतु का महत्वपूर्ण योगदान होता है। हालांकि इसकी कुछ हानियां भी होती है।
क्योंकि जब कभी इसकी मात्रा कम होती है तो किसानो के फसल सूख जाते हैं या फिर इसकी मात्रा अधिक होती है तो, फसल डूब जाते हैं जिसके कारण किसानो की उपज अच्छी नहीं हो पाती परिणाम स्वरूप उसे कुछ परेशानियाँ उठानी पड़ती है।
Rainy Season Essay in Hindi in 350 Words
वर्षा नामक इस ऋतु का आगमन हमारे देश भारत में जुलाई और समाप्ति सितंबर माह तक मानी जाती है। हमारे देश में पाए जाने वाले प्रमुख ऋतुओ मे से एक है वर्षा ऋतु। वर्षा नामक इस ऋतु का महत्व न सिर्फ हमारे देश में बल्कि संसार के अन्य प्रांतों में भी इसका महत्व है।
एक कृषि प्रधान देश होने के नाते भी हमारे देश में इसका एक अलग महत्व है। क्योंकि हमारे देश की कृषि मुख्य रूप से वर्षा पर ही आधारित होती है। यही कारण है कि, खासकर हमारे देश के किसान इसके आने का इंतजार बेसब्री से करते हैं।
वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही किसानो का इंतजार खत्म होता है और वे अपने-अपने खेती के कामो में लग जाते हैं। इतना ही नहीं जिस प्रकार हमारे देश के किसानो को इस ऋतु का इंतजार रहता है। हमारे ख्याल से शायद उतना ही इंतजार हमारे देश के पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों को भी रहता है।
क्योंकि इस ऋतु के आगमन के साथ ही उन्हें ग्रीष्म के तपती धूप और उमस भरी मौसम से राहत मिलती है। ग्रीष्म ऋतु की भीषण गर्मी से और तपती सुर्य के किरणो से जब पशु-पक्षियाँ पेड़-पौधे परेशान हो जाते हैं। तब यह ऋतु उन्हे तृप्ती दिलाती है।
ग्रीष्म ऋतु की तपती सुर्य की प्रकाश जब धरती पर पड़ती है तो कई पेड़-पौधे सूख जाते हैं तो कई झुलस जाते हैं। परंतु जब इस ऋतु का आगमन होता है तो, ये सारे पेड़-पौधे पुनः हरा भरा हो उठता है। जिस प्रकार अन्य ऋतुएँ आती है और अपने-अपने कामो के अनुसार अपना नाम ग्रहण करती है।
ठीक उसी प्रकार वर्षा नामक (Varsha Ritu in Hindi) इस ऋतु को भी इसके कामो के अनुसार हम लोगों द्वारा वर्षा नाम दिया गया है। इस ऋतु में धान, ज्वार, बाजरा और मक्का आदि फसले उगाई जाती हैं। जुलाई के मध्य और अगस्त माह के अंत तक यह अपनी चरम अवस्था में होती है।
और खूब पानी बरसाती है। खासकर बच्चे वर्षा के जल में नहाना बहुत पसंद करते हैं। इतना ही नहीं हमारे देश के बूढ़े और जवान भी इस मौसम का खूब मजे उठाते हैं। इस ऋतु के आते ही हमारे देश की प्राकृतिक नजारा बहुत ही मनमोहक और आकर्षक हो जाती है जो पर्यटको के दिलो-दिमाग में समा जाती हैं।
Varsha Ritu Par Nibandh in Hindi in 550 Words
हमारे देश में साधारणतया छःह ऋतुएँ पाई जाती है। जिनके अंतर्गत ग्रीष्म, शीत, वर्षा, शिशिर, वसंत, और हेमंत ऋतु आती हैं। इन सभी ऋतुओं का हमारे देश में काफी महत्व है। हमारे देश में पूरे एक वर्ष की अवधि में ये सारी ऋतुएँ अपने-अपने समय से आती है और अपनी नियत समय से चले जाती है।
ठीक उसी प्रकार वर्षा नामक इस ऋतु का भी हमारे देश में जुलाई माह से आरंभ होती है और सितंबर माह तक समाप्त हो जाती है। यह अपने मध्य अवस्था में जोर की वर्षा करवाती है अर्थात अगस्त के मध्य और सितंबर के शुरुआत में अपनी चरम अवस्था में रहती है।
यही एक ऐसा ऋतु है, जो ग्रीष्म ऋतु की तपती धूप और उमस भरे मौसम से हमे राहत दिलाती है। यह न सिर्फ हमे बल्कि हमारे देश के समस्त सजीव जगत को ग्रीष्म ऋतु की उमस भरी मौसम और धूप से राहत दिलाती है। भारत के लगभग समस्त भागो में गर्मी का प्रभाव इतना हो जाते हैं कि, इस समय मे लोगो का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
कई नदी, तालाब, कुएं, सूख जाते हैं। पशु-पक्षियाँ, कीट-पतंगे भी बहुत ही कठिनाई से अपना गुजारा कर पाती है। क्योंकि इस मौसम में धूप इतनी भयानक होती है कि, यह नदी, तालाब, के पानी को भी सुखा देती है। जिस कारण पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों को अपनी प्यास बुझाने को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाती है।
परिणाम स्वरूप हमारे देश के बहुत से क्षेत्रो में पानी के लिए त्राहि मच जाती है और इन सभी समस्याओं का समाधान हमारे देश में तब होती है, जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है। यही कारण है कि, हमारे देश के सभी लोग बेसब्री से इसके आने का इंतजार करते हैं।
इतना ही नही हमारे देश के पशु-पक्षियों और कीट- पतंगों को भी इसके आने का उतना ही इंतजार रहता है, जितना हम मानव को रहता है। चारो ओर घने बादल का लगना। हमारे देश में वर्षा ऋतु के आगमन का सूचक माना जाता है।
इस ऋतु का महत्व न सिर्फ हमारे देश मे है। बल्कि अन्य जगहो पर भी इसका उतना ही महत्व है। क्योंकि जल के बिना जीवन संभव नहीं है और समस पृथ्वी पर पर्याप्त मात्रा में तभी जल रह पाएगा, जब पर्याप्त मात्रा में वर्षा होगी।
हमारे देश के किसानों के लिए तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। क्योंकि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है और खास बात तो यह है कि, यहां की कृषि भी वर्षा आधारित है। अर्थात वर्षा के बिना यहां कृषि करना थोड़ी असंभव सी बात हो जाती है।
छोटे से लगभग सभी बड़े कृषको को भी इस ऋतु के आने का इंतजार रहता है। इस ऋतु के आते ही हमारे देश के सारे छोटे-बड़े कृषक खुश होकर अपने-अपने खेती में लग जाते हैं और उनकी फसलों के लिए पर्याप्त मात्रा में वर्षा हो जाती है तो उनके फसलो की पैदावार अच्छी होती है।
उन फसलों से प्राप्त अनाज को ही बेचकर वे अपनी जीविक उपार्जन करते हैं। इस ऋतु के आगमन के साथ ही हमारे देश के लगभग सभी क्षेत्रो में हरियाली छा जाती है। ग्रीष्म कालीन धूप की प्रचंडता से भूमि की नमी समाप्त हो जाती है। परंतु जब ये ऋतु अपना पदार्पण करती है तो यहां की भूमि को पुनः अपनी अवस्था में ला देती है।
सूखी हुई सभी ताल-तलैया पुनः भर जाते हैं। जिससे यहां की समस्त जीव-जंतुओं को तृप्ति मिल जाती है। परिणाम स्वरूप चारो और हरियाली और खुशहाली का ही नजारा हमे देखने को मिलता है। जिसका श्रेय वर्षा नामक इस ऋतु को जाता है।
Long Type Essay on Varsha Ritu in Hindi
जिस प्रकार हमारे देश के बहुत सारी चीजो में भिन्नता या फिर कहे तो विविधता पाई जाती है। ठीक वही स्थिति हमारे देश में मौसमो के साथ होती है। क्योंकि यहां कुल मिलाकर छ:ह ऋतुएँ पाई जाती है। जिनमें ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत ऋतुएँ आती है और पूरे एक वर्ष की अवधि में ये सभी ऋतुएँ अपने-अपने समय से आती है और नियत समय पर समाप्त हो जाती है।
इनकी एक निर्धारित अवधि होती है, जो दो से तीन महीने की होती है। प्रत्येक ऋतु के समय हमारे देश का वातावरण या फिर कहे तो मौसम अलग-अलग रहती है। क्योंकि यहां ऋतु परिवर्तन के साथ ही मौसम भी परिवर्तित हो जाती है। परिणाम यह होता है कि, यहां माह परिवर्तन के साथ ही मौसम भी बदलते रहते हैं।
हमारे देश में पाई जाने वाली इन सभी ऋतुओ को हमारे देश के लोगो द्वारा उनके कामो के अनुसार उनका नाम दिया गया है। अलग-अलग ऋतुओ मे हमारे देश की प्राकृतिक नजारा अलग-अलग होती है। यहां पाई जाने वाली प्रत्येक ऋतुओ का स्वागत हमारे देश के लोग अपने-अपने अंदाज से करते हैं।
वैसे तो हमारे देश में पाई जाने वाली सभी ऋतुएँ बहुत ही खास होती है। परंतु यहां की तीन ऋतुएँ जिसमें ग्रीष्म, वर्षा और शरद आती हैं का कुछ ज्यादा ही महत्व होता है। जिस प्रकार अन्य ऋतुएँ अपने-अपने समयानुसार अपना पदार्पण कर हमारे देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है।
ठीक उसी प्रकार वर्षा (Varsha Ritu in Hindi) नामक यह ऋतु भी अपनी समयानुसार आकर यहां के प्राकृतिक नजारा में बदलाव लाकर हमारे देश मे अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है।
वर्षा ऋतु में भारतीय परिदृश्य
वर्षा नामक इस ऋतु का आगमन हमारे देश में जुलाई और समाप्ति सितंबर की शुरुआत मानी जाती है या फिर हम यह भी कह सकते हैं कि, हमारे यहां इस ऋतु की अवधि सावन (श्रावण) और भादो माह मानी जाती है। इतना ही नहीं इस ऋतु के समयावधि के संबंध में हम यह भी कह सकते हैं कि, वर्षा नामक इस ऋतु की शुरुआत हमारे देश में ग्रीष्म ऋतु के बाद और समाप्ति शरद ऋतु के पहले मानी जाती है।
वर्षा नामक इस ऋतु के आगमन के साथ ही हमारे देश के लगभग सभी प्रांतो में काले घने बादल छानी शुरू हो जाती है। खुली आसमान में चारो ओर लगने वाले काले घने बादल एक अलग ही दृश्य हमारे सामने उपस्थित करती है। जब इस ऋतु के प्रारंभ में कभी रिमझिम बारिश होती है अर्थात मध्यम गति में आसमान से बूंदा-बूंदी वर्षा होती है तो, ऐसा लगता है मानो आसमान से मोतियाँ गिर रही हैं।
इस ऋतु के आगमन के साथ ही ग्रीष्म काल की तपती या फिर कहे तो प्रचंड धूप के कारण सूखी हुई नदी, तालाब, पोखर, कुआँ आदि पुनः भर उठती है। इतना ही नहीं धूप की प्रचंडता के कारण सूखी-मुरझाई हुई पेड़-पौधे, घास, लती-लताएँ अपनी अवस्था में आ जाती हैं। अर्थात पुनः हरी-भरी हो उठती है।
दुबली-पतली लताएँ बढ़कर फैलने लगती है और वृक्षो से लिपटने लग जाती है। इस प्रकार कहे तो सूखे या मुरझाए हुए पेड़-पौधे और सूखी पत्तियो में नई जान आ जाती है। उमस भरी गर्मी और प्यास से तड़पती पशु-पक्षियों कीट-पतंगों की आत्मा को तृप्ति दिलाने का श्रेय भी वर्षा नामक इस ऋतु को ही जाता है।
इतना ही नहीं इस ऋतु के आते ही चारो और हरियाली और खुशहाली का नजारा ही हमे देखने को मिलता है। उमड़ते-घुमडते बादलो को देख कर न सिर्फ वनो में मोर नाचते अपितु अन्य पशु-पक्षियों और बच्चो की टोलियां भी झमाझम बरसा में चहक-चहककर स्नान कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं। दादुर की ध्वनि और झींगुर की झंकार एक संगीत में वातावरण उपस्थित करती है।
हमारे देश के समस्त सजीव अर्थात मानव पशु-पक्षियाँ कीट-पतंगे, पेड़-पौधे आदि वर्षा ऋतु की स्वागत अपने-अपने अंदाज में करती है। जिस प्रकार वसंत की महत्ता को देखते हुए उसे ऋतुराज की उपाधि दी गई है।
ठीक उसी प्रकार वर्षा (Varsha Ritu in Hindi) नामक इस ऋतु की महत्ता को देखते हुए इसे “ऋतु रानी” का दर्जा दी गई है। क्योंकि इस ऋतु में प्रकृति रानी पल-पल मे परिधान परिवर्तित कर अपनी अद्भुत छटा दिखाने लगती है।
हमारी भारतीय संस्कृति में वर्षा ऋतु में मनाए जाने वाली प्रमुख त्योहार
हमारे देश में पाए जाने वाले लगभग सभी ऋतुओ मे कोई-न-कोई त्यौहार मनाया जाता है। तो स्वाभाविक सी बात है कि, वर्षा नामक इस ऋतु के दौरान भी हमारे देश में कोई-न-कोई त्यौहार जरूर Celebrate किए जाते होंगे। तो आइए जानते हैं वर्षा ऋतु के दौड़ान हमारे देश में मनाई जाने वाली कुछ प्रमुख त्यौहार के बारे में।
वैसे तो वर्षा के कारण हमारे यहां की तापमान सामान्य ही रहती है जिससे लोगो को ज्यादा परेशानियां नहीं उठानी पड़ती है साथ ही साथ चारो ओर हरी-भरी फसले खेतों में लहलहाती रहती है। इतना ही नहीं पशु- पक्षियाँ भी अपनी-अपनी आवाज में गाती रहती है। जो इसकी सुंदरता के परिचायक हैं। परंतु इस ऋतु में हम भारतीय संस्कृति के लोग रक्षाबंधन, तीज, स्वतंत्रता दिवस, विश्वकर्मा पूजा, आदि जैसे त्यौहार मनाकर इस ऋतु की सुंदरता में और भी चार-चाँद लगा देते हैं।
वर्षा ऋतु में उपजायी जाने वाली प्रमुख आनाज, फल और सब्जियाँ
जहां तक वर्षा ऋतु (Varsha Ritu in Hindi) में उपजाए जाने वाली फसलों की बात है तो हमारे देश में इस ऋतु के दौड़ान खरीफ फसलें बोई या फिर कहे तो उपजाई जाती है। जिसमें धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, कपास, जूट आदि आते हैं।
क्योंकि इन फसलों की बुआयी के लिए अधिक तापमान एवं आद्रता होनी चाहिए। इस ऋतु के प्रमुख फल और सब्जियों में लौकी, करेला, परवल, प्लम, जामुन, नाशपाती, भिंडी, आडु आदि आते हैं।
वर्षा ऋतु से लाभ (Benefits From Rainy Season)
जिस प्रकार अन्य सभी ऋतुएँ या फिर कहे तो मौसमों के फायदे और नुकसान की बात है तो इस संबंध मे हम कर सकते हैं कि, सभी ऋतुओं के कुछ फायदे और कुछ नुकसान होते हैं। तो स्वाभाविक सी बात है कि, वर्षा नामक इस ऋतु की भी कई लाभ हैं तो कुछ हानियां भी हैं। तो आइए पहले जानते हैं वर्षा नामक इस ऋतु से होने वाले लाभ के बारे में।
खासकर हमारे भारतीय संस्कृति के छोटे से लेकर बड़े सभी कृषको के लिए वर्षा प्रकृति की एक अनोखा वरदान साबित होती है। जिसका पहला कारण यह है कि, हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है। दूसरा कारण यह है कि, यहां की कृषि भी वर्ष आधारित ही है। यही कारण है कि हमारे यहां सभी कृषक वर्षा नामक इस ऋतु के आगमन का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
इस ऋतु के आगमन के बाद उसका इंतजार खत्म होता है और वे अपने दिलो-जान से इस ऋतु का भव्य स्वागत करते हैं। तत्पश्चात अपने खेतो के काम में लग जाते हैं। पर्याप्त मात्रा मे बारिश होने के कारण इसके द्वारा बोयी गई सभी फल, फूल, सब्जियां और अनाज की अच्छी उपज होती है।
जिसका व्यापार कर वे अपना जीवन निर्वाह करते हैं, और हमारे देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देते हैं। न सिर्फ हमारे देश के पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए वर्षा नामक इस ऋतु की सख्त आवश्यकता होती है। जहां तक हमारे देश के पर्यावरण को संतुलित रखने में इसकी महत्ता की बात है।
तो यहां हम कर सकते हैं कि, यदि हमारे देश में वर्षा नहीं होगी तो जिस प्राकृतिक सौंदर्य के लिए हमारा देश विश्व विख्यात है वह क्षण भर में समाप्त हो जाएगी। क्योंकि जब कभी हमारे यहां ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड धूप लगातार पड़ती है, तो यहां के कई ताल तलैया, पेड़-पौधे, झाड़ियाँ-लताएँ सूख जाती हैं। इतना ही नहीं कहीं-कहीं तो धरती बंजर हो जाती है।
क्योंकि तपती सुर्य के किरणो से वहां की सारी नमी समाप्त हो जाती है, तो उसका बंजर होना स्वाभाविक हो जाता है। ग्रीष्म की उमस भरी मौसम और धूप की प्रचंडता से मानव तो आकुल-व्याकुल होते ही हैं। साथ-साथ पशु-पक्षियों का भी हृदय विदीर्ण होने लगता है। क्योंकि उन्हें सही समय पर खाने को न भोजन मिलती है और न ही प्यास बुझाने को पानी।
जब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो हमारे देश के समस्त सजीव को वर्षा नामक इस ऋतु के आगमन का इंतजार रहता है। क्योंकि यह एक ऐसा ऋतु है जो हमारे देश के समस्त प्राणियों को इन सभी समस्याओं से निजात दिलाती है। जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूं कि हमारे देश के प्राकृतिक सौंदर्य को भी बढ़ाने में इसकी अहम योगदान रहती है।
क्योंकि ये वन-उपवन, नदी-तालाब, पोखर, झड़ना, झील, छोटे-बड़े पहाड़-पहाड़ियां, रंग-बिरंगे फल फूल के पेड़-पौधे, छोटे-बड़े पशु-पक्षीयाँ ही तो हमारे यहां प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाती है और इसका अस्तित्व तभी ही रहेगा जब समय-समय पर वर्षा ऋतु का पदार्पण हमारे देश में होता रहेगा।
वर्षा ऋतु से हानि (Loss From Rainy Season in Hindi)
जहां तक इस ऋतु से होने वाले नुकसान की बात है तो, मैं मानती हूं कि इस ऋतु से हमें कई नुकसान भी होते हैं या फिर कहें तो कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। परंतु इतना भी सत्य है कि, इसे नुकसानदायक बनाने में सबसे बड़ा योगदान हम मानव का ही रहता है। जिसे आज हम जानने का प्रयास करेंगे।
जैसा कि हम सभी जानते हैं। जब कभी बारिश आवश्यकता से काफी अधिक होने लग जाती है तो सभी छोटी-बड़ी नदियां, पोखर, तालाब आदि भर जाते हैं और जब यह अपने चरम पर पहुंच जाती है। तो बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है अर्थात बाढ़ आ जाती है। जिससे हमारे देश के कई प्रांतो में काफी संख्या में जान-माल की क्षति होती है।
फसलें जलमग्न हो जाते हैं। क्योंकि आज मानव अपने स्वार्थ में आकर पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। यह जानते हुए भी कि पेड़-पौधे मिट्टी के कटाव को रोकने में अहम भूमिका निभाती है। हाँलाकि इस ऋतु में कुछ मौसमी बीमारियां भी पनपती हैं। जिसमे सर्दी, खांसी तथा संबंधी रोग मलेरिया, हैजा आदि आती है। क्योंकि इन बीमारियों को फैलाने वाली रोगाणुओ और कीटाणुओं के लिए यह मौसम उनके अनुकूल होता है।
इनके होने का एक कारण यह भी है कि, कई लोग साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते। कभी-कभार बारिश की रफ्तार काफी तेज होने के कारण मृदा अपरदन होने लगती है। जिससे उपजाऊ मिट्टी भी उस पानी के साथ बह जाती है। जिसके कारण फसल की उपज कुछ ज्यादा अच्छी नहीं हो पाती है। जिसका नुकसान हमारे देश के किसान भाइयो को उठानी पड़ती है तो, यह थी वर्षा ऋतु से होने वाली कुछ हानियाँ।
उपसंहार (Conclusion)
वर्षा (Varsha Ritu in Hindi) नामक इस ऋतु को हम सभी ने इसके कामो के अनुसार ऋतुओ की रानी का दर्जा दिया है। जो कतिपय कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि ग्रीष्म की तपती धूप से प्यासी धरती को अपनी अमृत रूपी जल की बूंद बरसाकर धरती की प्यास बुझाने का श्रेय सिर्फ इसे ही प्राप्त है।
इतना ही नही मानव सहित छोटे-बड़े पशु-पक्षियों, पेड़-पौधे, कीट-पतंगे सबो में नवजीवन का संचार करने का श्रेय भी से ही जाता है। जब हमारे देश में यह अपना पदार्पण करती है तो, यहां के चहू-विहू, पशु-पक्षियाँ भी अपने-अपने स्वर में राग सुनाकर अपनी खुशियाँ जाहिर करती है।
इस प्रकार कहे तो वर्षा ऋतु हमारी भारतीय संस्कृति में आनंद, आशा और उत्साह की संदेश लेकर आती है। परंतु आज हम मानव अपनी स्वार्थ की पूर्ति हेतु जंगलो की कटाई, कूड़े-कड़कट से नदियो को प्रदूषित करने आदि जैसे कुछ और भी ऐसे काम करते हैं।जिसके कारण आज न समय से वर्षा होती है और यदि होती भी है तो, संतुलित मात्रा में नही होती है।
जिससे हमारा पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता है साथ ही अन्य कई समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। अतः इसे बचाने के लिए आज हम मानव को कुछ सावधानियाँ बरतने की आवश्यकता है।
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