Essay on Cow in Hindi / About Cow in Hindi । गाय पर निबंध (1000 Words)

Essay on Cow in Hindi (गाय पर निबंध) : दोस्तों आज मैं एक ऐसे विषय पर निबंध लिखी हूं, जिसका हमारे भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से लेकर आज के आधुनिक युग में भी काफी महत्वपूर्ण स्थान है। जो है : गाय (Cow).

तो सीधे शब्दों में आपको कहूँ तो आज मैं गाय पर निबंध (Essay on Cow in Hindi) लिखी हूं। हमारी कोशिश है. कि आज इस Article के माध्यम से मैं आपको सरल से सरल शब्दों में गाय के बारे में (About Cow in Hindi) अधिक से अधिक जानकारी दे सकूं।

तो आइए चलते हैं, आज की अपनी विषय में अधिकाधिक जानकारी हासिल करने।

गाय पर निबंध। Essay on Cow in Hindi in 250 Words

गाय न सिर्फ भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में पाए जाने वाली पालतू पशुओ मे से एक है। परंतु गाय नामक इस पालतू पशु का हमारी भारतीय संस्कृति में न सिर्फ आज के समय में बल्कि वर्षों से या फिर कहूं तो प्राचीन समय से ही इसका काफी महत्व रहा है।

हमारी भारतीय संस्कृति में गाय को गऊ माता के नाम से भी पुकारा जाता है। अर्थात यहां गाय को एक मां के स्वरूप मे देखा जाता है। मां नामक इस शब्द से ही पता लग जाती है, कि हमारी भारतीय संस्कृति में गाय का स्थान कितना महत्वपूर्ण है।

यहां न केवल गाय को मां के रूप मे देखा जाता है। बल्कि उनकी पूजा भी की जाती है। खासकर हमारी भारतीय संस्कृति के हिंदू धर्म के लोगों में गाय के प्रति कुछ ज्यादा ही आस्था है। सबसे खास बात तो यह है, कि गाय एक शाकाहारी पशु है। यही कारण है, कि इसे लोग घरों में आसानी से पालने में सक्षम होते हैं।

साधारणतया गाय हरी घास, सुधा दाना, खल्ली, आटा, भूसा आदि खाती है। पूरे विश्व में गाय की कई नस्लें पाई जाती है। समान्यत: ऐसा कहा जाता है, कि भारत में निम्न नस्ल वाली गाय पायी जाती हैं। हमारी भारतीय नस्ल की गाय एक दिन में कुल मिलाकर 4-5 लीटर दूध देती है।

गाय की दूध काफी स्वादिष्ट, स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अच्छी और उपयोगी होती है। अपनी लंबी और कोमल शरीर के कारण ये काफी सुंदर और आकर्षक दिखती हैं। ये विभिन्न रंगों में पाई जाती है।

साधारणतः सफेद और काली रंग की गाय लोगों को देखने में कुछ ज्यादा ही पसंद आती है। अपनी बड़ी-बड़ी आंखों के कारण यह बहुत ही मनमोहक लगती है।

साथ ही यह इतनी सीधी-साधी और दयालु प्रवृत्ति की होती है, कि जब हम किसी में सीधेपन की मात्रा अधिक देखते हैं। तब हम उनकी तुलना गाय से करते हैं।

अपने दोनों सींग से यह अपनी रक्षा करती है। इसके लंबे से दुम काफी अच्छे लगते हैं। गाय विभिन्न आकारों की होती है। जिसमें कुछ छोटी तो कुछ बड़ी आकार की होती है। हमारे देश के खासकर ग्रामीण इलाकों के प्रत्येक घर में गाय पाली जाती है।

About Cow in Hindi in 550 Words

About Cow in Hindi

यूँ कहूँ तो कई ऐसे पशु है, जिन्हें पालतू पशुओं की श्रेणी में रखा जाता है : गाय, बकरी, कुत्ता, भैंस, घोड़ा आदि। परंतु इन सभी पालतू पशुओं में हमारे ख्याल से जिन्हें अधिक महत्व दिया जाता है, वह है :  गाय (Cow in Hindi).

गाय नामक यह पशु न केवल भारत मे पायी जाती है। बल्कि दुनिया भर के लगभग सभी देशों में पाई जाती है। फर्क सिर्फ इतना है, कि विभिन्न जगहों में इसकी नस्लें भी भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है। कहीं ज्यादा अच्छे नस्ल की, कहीं मध्यम नस्ल की, तो कहीं निम्न नस्ल की परंतु इतनी बात तो सत्य है, कि दुनिया भर के देशो में गाय एक पालतू पशु के रूप में ही देखी जाती है। व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी यह कई मायने में महत्व रखती है।

इसका खान-पान काफी साधारण होता है। क्योंकि यह एक शाकाहारी पशु है। गाय विभिन्न आकारो और विभिन्न रंगों में पाई जाती है। ये आकार मे छोटे-बड़े, रंगों में सफेद, काली, भूरी आदि होती है।

गाय अक्सर काफी स्वच्छ और मध्यम वातावरण में रहना पसंद करती है। घास, लार, भूषा, पुआल, सुधा दाना, खल्ली आदि गाय की प्रमुख आहार है।

गाय को हरी घास काफी पसंद आती है। गाय न केवल पालतू होती है। बल्कि जंगली भी होती है। लेकिन जंगली गाय बहुत कम ही देखने को मिलती है, और ये खूंखार प्रवृत्ति के भी होती है।

खासकर पालतू गाय अपने आप में काफी शांत और दयालु प्रवृत्ति की होती है। हमारे ख्याल से गाय की एक यह प्रवृत्ति भी इन्हें खास बनाती है।

गाय कठोर जल वायु में अक्सर अपने आपको ढा़लने में असक्षम होती है। यही कारण है, कि इसे मध्यम जलवायु वाले क्षेत्रों में रखा जाता है।

गाय की शरीर लंबी और कोमल होती है। गाय खासकर हमारे देश में अक्सर छोटी और मध्यम कद वाली पाई जाती है। परंतु कई अन्य देशों में यह बड़ी कद में पाई जाती है।

हमारी भारतीय संस्कृति में इसका स्थान कुछ अलग है। खासकर हमारे यहां के हिंदू धर्म में गाय की हत्या करना पाप माना जाता है।

हमारे देश भारत मे गाय को पूजनीय व माँ की दर्जा दी जाती है। क्योंकि इसकी प्रवृत्ति कुछ हद तक इंसान के व्यवहार-विचार से मिलती है। हमारी भारतीय संस्कृति में यह अपनी भोलेपन के लिए भी प्रसिद्ध है।

गाय इतनी उपयोगी है, कि यह न केवल जीते-जी हमें लाभ पहुंचाती है। बल्कि मरने के बाद भी इनके शरीर का कई कामो में उपयोग किया जाता है।

गाय के मरने के पश्चात गाय के चमड़े, सींग तथा हड्डियों से कई तरह की वस्तुएं बनाई जाती है। जिसका हमारे दैनिक जीवन में काफी उपयोग होता है। गाय एक चौपाया जानवर है। इस की दोनों आंखें बड़ी-बड़ी और चमकीली होती है।

कुछ गाय के सींग बड़े-बड़े होते हैं, तो वहीं कुछ के सींग छोटे-छोटे होते हैं। यह अपनी दोनों सीगों से अपनी रक्षा करती है। गाय की एक लंबी सी पूँछ होती हैं, जो काफी अच्छी लगती है। इनकी लंबी गर्दन भी उन्हें सुंदरता प्रदान करती है।

गाय के दूध कई मायने में हमारे लिए उपयोगी होती है। इसका दूध मीठा और शक्तिवर्धक होता है, यही कारण है, कि इसके दूध पीने से हमें ऊर्जा और शक्ति मिलती है।

गाय के दूध से मक्खन, दही, घी तथा अनेक प्रकार की मिठाइयां बनाई जाती है। खासकर बच्चों और रोगियों के लिए गाय का दूध काफी लाभ-वर्धक होता है, क्योंकि इसमें इतनी शक्ति होती है, कि यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, और संक्रमण और अन्य रोगों से भी हमारी रक्षा करती है।

गाय के मल-मूत्र खाद्य के काम आते हैं, जो हमारे खेतो की उर्वरक क्षमता बढ़ाती है। इतना ही नहीं इनके गोबर का गोयठा बनाकर उसे जलावन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

इस प्रकार हम कहे तो गाय हमारे जीवन में काफी उपयोगी है। जहां तक गाय के दूध देने की बात है, तो सामान्यतः गाय दो Time दूध देती है : सुबह और संध्या को। खासकर हमारे भारतीय समाज प्रत्येक घर में गाय पाई जाती है।

Essay on Cow in Hindi in 750 Words

गाय न सिर्फ आज के समय में बल्कि प्राचीनतम् समय से ही मानव का एक अभिन्न मित्र रही है। साधारणतया यह दुनिया के समस्त जगहों पर पाई जाती है।

संसार में पाई जाने वाली समस्त जीव-जंतुओं में भोलेपन के विचार से गाय का स्थान प्रथम है। क्योंकि यह अन्य पशुओं के अपेक्षा अधिक विनम्र और भोली-भाली प्रवृति की होती है। खासकर हमारे देश में गाय की कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है।

भारतीय संस्कृति में इसे मां की दर्जा दी जाती है। यही कारण है, कि इसे ‘गऊ माता’ के नाम से भी पुकारा जाता है। इतना ही नहीं कई अवसरों पर हमारे देश में गाय की पूजा भी की जाती है।

गाय एक बहुउपयोगी पशु है, जिसका न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्व है। करोड़ो की संख्या मे रहने वाले भारतीय हिंदुओं का गाय के प्रति काफी साम्मानपूर्ण और धार्मिकपूर्ण आस्था होती है।

ऐसा कहा जाता है, कि दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में गायों की संख्या अधिक पाई जाती है। राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड विकास की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 190 मिलियन गायों की जनसंख्या है।

हमारे हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवताओं का निवास होता है।

गाय की शारीरिक संरचना। Anatomy of Cow in Hindi

आमतौर पर कहा जाए तो दुनिया के विभिन्न भागो में पाई जाने वाली सभी गायो की शारीरिक बनावट ज्यादातर सामान्य होती है। परंतु कुछ चीजें हैं, जिसमें थोड़ी-बहुत अंतर पाई जाती है।

उदाहरण के तौर पर ले तो भारत के अपेक्षा अन्य देशों में पाई जाने वाली गाय ज्यादा अच्छी नस्ल वाली तथा कद की बड़ी होती है। साथ ही कुछ गाय अधिक दूध देती है, तो कुछ कम। साधारणतः गाय का वजन 850 किलो से भी अधिक होती है।

इसकी दो बड़ी-बड़ी नीली रंग की चमकीली आंखें देखने में काफी सुंदर लगती है। इसके निचले जबड़े में 8 दांत होते है, और ऊपर के जबड़े में एक भी दांत नहीं होता; बल्कि एक गद्दी बनी होती है

इसकी एक लंबी-सी दूम होती है, जिसका प्रयोग अक्सर वो बैठने के समय उस स्थान की गंदगी साफ करने में करती है। गाय अपनी आंखों की मदद से 360 डिग्री तक देख लेती है। गाय के शरीर के पीछे का हिस्सा चौड़ा तथा अगला हिस्सा लंबी और पतली होती है।

अपनी दोनों कानो की मदद से यह धीमी आवाज भी सुन लेती है।

जैसा कि हमें पता है, कि गाय एक चौपाया जानवर है; अर्थात इसके चार पैर होते हैं, और इनके पैरों में जो खुर्र पाई जाती है, जो काफी कठोर होती है। इसी के सहायता से गाय किसी भी प्रकार के कठोर स्थानों पर भी चल लेती है।

इन्हें दो सींग भी होते हैं, परंतु किसी गाय की छोटी तो किसी की बड़ी। अपने सींग के सहायता से अपनी सुरक्षा करती है। गाय की एक बड़ी नाक होती है। जिसमें दो छिद्र होता है। गाय के चार थन होते हैं।

गाय की उपयोगिता। Utility of Cow in Hindi

जैसा कि हम सभी जानते हैं, गाय एक पालतू पशु होने के साथ-साथ एक दुधारू पशु भी है।

खासकर हमारे देश में इसे प्राचीन समय से ही लोग अपने घरो में लक्ष्मी के रूप में लाते और अच्छे ढंग से इनकी देखभाल करते हैं।

जहां तक इनकी उपयोगिता की बात है, तो इस संबंध में हमारे ख्याल से शायद यही एक ऐसा पशु है, जो अपने जीवन काल से मरने के उपरांत भी हमें बहुत कुछ देती है। परंतु बदले में कुछ लेती नहीं है। यह भी एक कारण है, जो इनके विनम्र और दयालु स्वभाव को बयां करती है।

इसकी दुध अन्य पशुओं की अपेक्षा अधिक पवित्र और काफी स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। खासकर बच्चों और रोगियों के लिए तो यह अमृत के समान होता है।

गाय के दूध का सेवन करने से न सिर्फ हमें ऊर्जा व शक्ति मिलती है, बल्कि हमारी शारीरिक वृद्धि भी अच्छी तरह से होती है। कई धार्मिक कार्यक्रमों के अवसर पर भी इनके दूध, घी, गोबर आदि का उपयोग किया जाता है।

गाय के दूध से दही, घी, पनीर, मक्खन, और कई अन्य तरह की मिठाइयां और पकवान भी बनाए जाते हैं।

गाय के मल-मूत्र से खाद्य का निर्माण होता है। जिसके प्रयोग से खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ाई जाती है। गाय के गोबर से उपले बनाकर जलावन के रूप में भी उसका उपयोग किया जाता है। गाय के मूत्र का उपयोग कई प्रकार की औषधियों के निर्माण में भी किया जाता है। गाय के बछड़े जो बड़े होकर बैल बन जाते हैं, इसे खेत में हल जोतने के रूप में उपयोग में लाया जाता है। आज के दौर में गाय ही कई लोगों के जीविका का मुख्य आधार बन चुकी है।

गाय की जातियाँ/नस्लें । Breed of Cow in Hindi

दुनियाभर में पाई जाने वाली गाय नामक इस पालतू पशु की कई नस्लें होती हैं। जिसमें कुछ अधिक दूध देने वाली होती है, तो कुछ मजबूत शरीर वाली। यही कारण है, कि कुछ गाय के बछड़े का उपयोग खेत में हल जोतने के काम में लिया जाता है।

भारत में गायों की लगभग 37 प्रकार की नस्लें पाई जाती है। जिनमें से कुछ इस प्रकार है :

  • साहिवाल प्रजाति (हरियाणा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश)
  • गिर प्रजाति (गुजरात)
  • लाल सिंधी प्रजाति (पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु)
  • राठी प्रजाति (राजस्थान)
  • कांकरेज प्रजाति (राजस्थान)
  • थारपरकर प्रजाति (राजस्थान)
  • हरियाणवी प्रजाति
  • देवनी प्रजाति (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक)
  • नागौरी प्रजाति (राजस्थान)
  • निमाड़ी प्रजाति (मध्य प्रदेश)
  • सीरी प्रजाति (सिक्किम एवं भूटान)
  • मेवाती प्रजाति (हरियाणा)
  • हिल्लीकर प्रजाति (कर्नाटक)
  • भगनारी प्रजाति (पंजाब)
  • कंगायम प्रजाति (तमिलनाडु)
  • मालवी प्रजाति (मध्य प्रदेश)
  • गावलाव प्रजाति (मध्य प्रदेश)
  • वेचूर प्रजाति (केरल)
  • बरगुर प्रजाति (तमिलनाडु)
  • कृष्णावैली (महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश)
  • डांगी प्रजाति (उत्तर प्रदेश)
  • अंगोल प्रजाति (तमिलनाडु)
  • हासी-हिसार (हरियाणा)
  • बचौर प्रजाति (बिहार)
  • आलमवादी प्रजाति (कर्नाटक)
  • कैनवारिया प्रजाति (मध्य प्रदेश)
  • खेरीगढ़ (उत्तर प्रदेश)
  • खिल्लारी प्रजाति (महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश)
  • दज्जाल प्रजाति (पंजाब)
  • अमृतमहाल प्रजाति (कर्नाटक)
  • धन्नी प्रजाति (पंजाब)

उपसंहार (Conclusion)

गाय एक बहुत ही अच्छी और उपयोगी पालतू पशु है, जो यथासंभव हमारी हर काम में मदद करती है।

एक तरह से बोलूं तो हमें हर तरह की सुख और सुविधाएं प्रदान करने वाली वस्तुओं में गाय भी प्रमुख स्थान रखती है। एक नजर से देखो तो आज गाय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी है, परंतु दुखद पहलू तो यह है, कि आज गाय के प्रति हमारी इतनी आस्था नहीं है। जितनी पहले के समय में थी।

इस बात की अनुमान हमें इस बात को देखकर लगती है, कि जब गाय दूध देना बंद कर देती है, तो हम उनकी अच्छे से देखभाल करना छोड़ देते हैं।

इतना ही नहीं शहरों में पॉलीथिन का प्रयोग कर उसे जहां-तहां फेंक दिया जाता है, जिसे खाकर गायों की असमय मौत हो जाती है। इन सब बातों को देखकर हमें ऐसा लगता है, कि कहीं-न-कहीं आज हमारी अपनी आस्था गौवंश के प्रति नीच होती जा रही है।

अतः हमे पुनः अपनी आस्था और विश्वास को जागृत करने के लिए इन गंभीर समस्याओं के प्रति सजग होकर हमे इसमें सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए ताकि हमारी भारतीय संस्कृति की परंपरा सदा कायम रहे।

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